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आधा भारत नहीं जानता जज और वकील का काला कोट पहनने का राज!

सड़क पर किसी को काला कोट-पैंट और सफेद शर्ट में देखकर हम तुरंत पहचान लेते हैं कि वह वकील है। अदालतों में जज भी यही पोशाक पहनते हैं। लेकिन क्या यह सिर्फ एक ड्रेस कोड है या इसके पीछे गहरा कारण छिपा है? चलिए जानते हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 21, 2025 पर 11:44 AM
आधा भारत नहीं जानता जज और वकील का काला कोट पहनने का राज!
काला कोट केवल पेशेवर पहचान नहीं, बल्कि न्याय की जिम्मेदारी का प्रतीक भी है।

सड़क पर किसी को काला कोट-पैंट और सफेद शर्ट पहने देख लें, तो तुरंत अंदाजा हो जाता है कि वो वकील है। अदालतों में जज भी इसी पोशाक में नजर आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों वकील और जज हमेशा काला ही कोट पहनते हैं? क्या ये सिर्फ एक ड्रेस कोड है या इसके पीछे कोई गहरा कारण छिपा है? दरअसल, काले रंग की ये पोशाक केवल पहचान की निशानी नहीं, बल्कि अनुशासन, शक्ति और निष्पक्षता का प्रतीक मानी जाती है। यह परंपरा ब्रिटेन से भारत आई, जब न्यायपालिका ने ब्रिटिश दौर की कई व्यवस्थाएं अपनाईं। इसके अलावा इतिहास और कानून दोनों ही इस ड्रेस कोड को मजबूत आधार देते हैं।

साल 1961 के एडवोकेट एक्ट के बाद भारत में भी वकीलों के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया। यह ड्रेस न सिर्फ उन्हें अन्य पेशों से अलग करती है, बल्कि उनकी जिम्मेदारी और निष्पक्षता का प्रतीक भी बन गई है।

अनुशासन का प्रतीक

काले रंग को आत्मविश्वास, शक्ति और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है, जबकि सफेद रंग शुद्धता और पवित्रता का। वकील और जज जब सफेद शर्ट के ऊपर काला कोट पहनते हैं, तो ये संदेश देता है कि वे न्याय की रक्षा करेंगे और किसी भी गलत के साथ खड़े नहीं होंगे। काला रंग "अंधे कानून" की धारणा को भी दर्शाता है कानून सबके लिए समान है और किसी का पक्ष नहीं लेता।

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