राखी का धागा चाहे, रेशम का हो या सूती, उसका दाम नहीं भावना मायने रखती है। लेकिन आज के दौर में भावना के साथ-साथ दाम की भी अहमियत बढ़ गई है। तभी तो पटना बाजार में लाखों रुपये के मूल्य वाली राखियों का बोल-बाला है। ये अब भावना का नहीं रुतेब, हैसियत और अमीरी का प्रतीक बन गई हैं। कम से कम पटना के सर्राफा बाजार में बिकने वाली राखियां तो यही कहानी सुना रही हैं।