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चारों तरफ से घिरे असीम मुनीर! काबुल हमलों के बीच हर मोर्चे पर आग से खेल रहा है पाकिस्तान

India-Pakistan conflict: असीम मुनीर की सेना इस समय भारी दबाव में है और सीमित संसाधनों के साथ कई दिशाओं में संघर्ष कर रही है। ये हालात पाकिस्तान की कमजोर होती व्यवस्था, डगमगाती अर्थव्यवस्था और उन इलाकों पर घटते नियंत्रण को उजागर करते हैं, जिन पर कभी सेना का पूरा दबदबा था

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 10, 2025 पर 8:41 PM
चारों तरफ से घिरे असीम मुनीर! काबुल हमलों के बीच हर मोर्चे पर आग से खेल रहा है पाकिस्तान
काबुल हमलों के बीच असीम मुनीर का पाकिस्तान कैसे हर मोर्चे पर गोलाबारी का सामना कर रहा है

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हवाई हमले के बाद क्षेत्र में पाकिस्तान और तालिबान के बीच एक बड़े युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। शुक्रवार सुबह पाकिस्तान ने काबुल में हवाई हमला किया था। पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक तहरीक-ए-तालिबान (TTP) को निशाना बनाकर किया गया है। यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत के दौरे पर हैं। यह हमला दक्षिण एशिया में तनाव और टकराव के एक नए दौर की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

भारत दौरे से बढ़ी पाक की टेंशन

हमले का समय खास इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि यह अफगान विदेश मंत्री  अमीर खान मुत्तकी की नई दिल्ली यात्रा के दौरान हुआ। इसे पाकिस्तान की बढ़ती हताशा के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। फील्ड मार्शल असीम मुनीर इस समय चार दिशाओं से संकट झेल रहे हैं भारत और अफगानिस्तान से बाहरी दबाव, और बलूचिस्तान व ख़ैबर पख्तूनख्वा में बढ़ते आंतरिक विद्रोह। हालात ऐसे हैं कि अब पाकिस्तानी सेना के पास अपनी नाकामियों का ठीकरा फोड़ने के लिए कोई नया दुश्मन भी नहीं बचा है।

 तहरीक-ए-तालिबान (TTP) पर निशाना 

9 अक्टूबर के हवाई हमले पाकिस्तान की ओर से पहली बार अफगान राजधानी पर सीधा हमला थे। इन हमलों का निशाना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद था, जिसे पाकिस्तानी सेना का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। महसूद के नेतृत्व में टीटीपी ने अलग-अलग गुटों को एकजुट कर अपनी ताकत बढ़ाई और पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर कई घातक हमले किए। इस साल अब तक 900 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे जा चुके हैं, जो 2009 के बाद सबसे अधिक है। हमले से सिर्फ दो दिन पहले, टीटीपी ने ख़ैबर पख्तूनख्वा के ओरकज़ई ज़िले में एक सैन्य काफिले पर हमला कर 17 जवानों की जान ले ली थी, जिनमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर भी शामिल थे।

पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार खोस्त और पक्तिका प्रांतों में टीटीपी के आतंकियों को शरण दे रही है। लेकिन स्थिति की विडंबना यह है कि जिस तालिबान को पाकिस्तान ने सालों तक समर्थन और मदद दी, वही अब उसके लिए सबसे बड़ी परेशानी बन गया है। असीम मुनीर की चुनौतियां अब कई मोर्चों पर बढ़ गई हैं। अफगानिस्तान के साथ तनाव के अलावा, भारत भी उनके लिए चिंता का कारण बना हुआ है, खासकर पहलगाम हमले और भारत के जवाबी अभियान ‘सिंदूर’ के बाद। पश्चिमी सीमा पर काबुल से रिश्ते बिगड़ चुके हैं, जहाँ तालिबान अब पाकिस्तान के आदेश मानने से इनकार कर रहा है। वहीं देश के अंदर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में उग्रवाद तेजी से बढ़ रहा है, जहाँ लोग इस्लामाबाद की सख्त सैन्य नीतियों के खिलाफ नाराज़ हैं।

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