मिलेनियल्स के बाद आयी Gen-Z जनरेशन बहुत ही दिलचस्प है। यह पहली जनरेशन है जिनकी शुरुआत ही सोशल मीडिया से हुई है और शायद यही वो पहली जनरेशन है जिसने कॉमिक्स बुक्स की जगह सीधे वीडियो गेम्स को देखा है। इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर में पली बढ़ी ये जनरेशन फिलहाल नेपाल में सड़कों पर दिख रही है। नेपाल की केपी ओली सरकार द्वारा फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और X जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बैन करने के फैसले के बाद पूरे देश में गुस्सा फूट पड़ा है।
नेपाल में Gen-Z की खूनी क्रांति
सरकार ने जैसे ही युवाओं को रील बनाने से रोका है, युवा सड़क पर उतरकर रियल सवाल पूछने लगे हैं, भ्रष्टाचार की बात करने लगे हैं, नौकरी कहां है? ये सवाल करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर बैन और सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ 12 हजार से ज्यादा युवा सोमवार सुबह संसद भवन परिसर में घुस गए, जिसके बाद सेना ने कई राउंड फायरिंग की। नेपाल में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान फिलहाल 16 लोगों की मौत की खबर सामने आई है और कई युवा घायल भी हुए हैं। नेपाल के इतिहास में संसद में घुसपैठ का यह पहला मामला है।
फिलहाल नेपाल के कैसे हैं हालात
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने पेड़ों की टहनियां और पानी की बोतलें फेंकी और सरकार विरोधी नारे लगाए। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया। द काठमांडू पोस्ट के अनुसार, कुछ प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में भी घुस गए, जिससे माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया। काठमांडू में बढ़ती अशांति के बीच जिला प्रशासन ने कर्फ्यू का दायरा और समय बढ़ा दिया है। पहले यह सिर्फ राजधानी के बानेश्वर इलाके तक सीमित था, लेकिन अब इसे कई हाई सिक्योरिटी एरिया तक लागू कर दिया गया है। इसमें राष्ट्रपति निवास (शीतल निवास), उपराष्ट्रपति का आवास (लैंचौर), महाराजगंज, सिंह दरबार परिसर, प्रधानमंत्री आवास और उसके आसपास के इलाके शामिल हैं। काठमांडू में कर्फ्यू को देर रात तक के लिए लागू कर दिया है। इस दौरान इन इलाकों में लोगों की मूवमेंट, सभाओं, विरोध-प्रदर्शनों और घेराव जैसी गतिविधियों पर पूरी तरह रोक रहेगी।
अब सवाल उठता है कि आखिर ये प्रदर्शन हो क्यों रहा है? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब
नेपाल सरकार ने हाल ही में 26 ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया है। इसके बाद से बीते शुक्रवार यानी 5 सितंबर से ही फेसबुक, यूट्यूब और एक्स (ट्विटर) जैसी बड़ी सोशल मीडिया साइट्स देश में बंद हैं। इससे लाखों यूजर्स नाराज और परेशान हो गए हैं। खासकर इंस्टाग्राम, जिसके नेपाल में बहुत बड़ी संख्या में यूजर्स हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अचानक लगे बैन ने युवाओं को हैरान कर दिया। आज के जमाने में जब लोगों के हाथों से एक सेकंड का फोन नहीं छूट पाता, वहां बिना सोशल मीडिया के जिंदगी की कल्पना करना भी मुश्किल है। पढ़ाई, नौकरी, कारोबार, मनोरंजन और यहां तक कि आपसी बातचीत में भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पूरी तरह से हावी हैं। इसीलिए जब अचानक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा तो युवाओं का आक्रोश फूट पड़ा।
करीब दो साल पहले, तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्पा कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की सरकार ने नेपाल में TikTok पर बैन लगाया था। सरकार का कहना था कि यह प्लेटफॉर्म "सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश" कर रहा है। हालांकि, जब के.पी. शर्मा ओली प्रधानमंत्री बने, तो उनकी सरकार ने प्रचंड सरकार की ओर से टिकटॉक पर लगाया गया बैन हटा दिया। लेकिन उससे पहले, जब प्रचंड सरकार सत्ता में थी, तब सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कंट्रोल करने के लिए एक गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने सत्ता संभाली और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नेपाली कानून के दायरे में लाने की कोशिश की। इसके लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराने की समय सीमा तय की थी।
नेपाल सरकार की सोशल मीडिया पर नई नीति पिछले साल अक्टूबर में आए सुप्रीम कोर्ट की ग्रैंड फुल बेंच के फैसले पर आधारित थी। इस फैसले में कहा गया था कि देशी और विदेशी सभी ऑनलाइन व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नेपाल में अपना कामकाज करने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नेपाल में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था और जो प्लेटफॉर्म रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे, उन्हें नेपाल में बंद करने का निर्देश था।
नेपाल की सरकार का कहना है कि ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नेपाल में "रजिस्टर्ड नहीं थे" और इसलिए उन्हें बैन किया गया है। लेकिन नेपाल की युवा जनता के लिए यह एक बहाने के अलावा और कुछ नहीं है। उनका कहना है कि वास्तव में, इस कदम ने सरकार के लिए आलोचना में उठती हर आवाजों को दबाना आसान बना दिया है. इसीलिए आज के युवा, खासकर Gen-Z, सड़क पर उतर आए हैं।
जब सरकार सोशल मीडिया कंपनियों को रजिस्ट्रेशन कराने में जुटी थी, उसी बीच एक और मुद्दा नेपाल में उठ गया। कुछ युवाओं ने TikTok पर देश के नेताओं के बच्चों की "लग्जरी लाइफ" दिखाते हुए फोटो और वीडियो डालकर एक ट्रेंड शुरू किया- '#NepoKid’।
इन युवाओं का कहना था कि नेता सत्ता में आकर अपने बच्चों को फायदा पहुंचाते हैं, लेकिन देश के लिए काम नहीं करते। अभियान चलाने वालों ने युवाओं से अपील की कि वे देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से जुड़ें। इसके लिए उन्होंने TikTok समेत बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों से इसमें जुड़ने की अपील की। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो और पोस्ट में डाले जाने लगे, जिनमें नेताओं के बच्चों की लग्जरी लाइफ और देश के दूर-दराज के इलाकों में गरीबों की मुश्किल भरी जिंदगी की तुलना की जाने लगीं। इसी बीच सरकार ने गुरुवार 4 अगस्त को देशभर में 20 से ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया और इस फैसले ने आग में घी का काम किया।
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