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Budget 2025: बॉन्ड के जरिये 14-15 लाख करोड़ रुपये की मार्केट बॉरोइंग का ऐलान कर सकती सरकार

केंद्र सरकार आगामी बजट में बॉन्ड के जरिये 14-15 लाख करोड़ रुपये की मार्केट बॉरोइंग का ऐलान कर सकती है। अर्थशास्त्रियों और ट्रेजरी हेड ने यह जानकारी दी है। ICRA में चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने बताया, 'वित्त वर्ष 2026 में हमें भारत सरकार की ग्रॉस बॉरोइंग 14.8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।' इसके अलावा, आनंद राठी ग्रुप के चीफ इकनॉमिस्ट और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सुजान हाजरा का कहना था कि वित्त वर्ष 2026 में ग्रॉस बॉरोइंग 15 से 15.5 लाख करोड़ रुपये हो सकती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 27, 2025 पर 11:03 PM
Budget 2025: बॉन्ड के जरिये 14-15 लाख करोड़ रुपये की मार्केट बॉरोइंग का ऐलान कर सकती सरकार
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष में 3.9 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड मैच्योर हो रहे हैं।

केंद्र सरकार आगामी बजट में बॉन्ड के जरिये 14-15 लाख करोड़ रुपये की मार्केट बॉरोइंग का ऐलान कर सकती है। अर्थशास्त्रियों और ट्रेजरी हेड ने यह जानकारी दी है। ICRA में चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने बताया, 'वित्त वर्ष 2026 में हमें भारत सरकार की ग्रॉस बॉरोइंग 14.8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।'

इसके अलावा, आनंद राठी ग्रुप के चीफ इकनॉमिस्ट और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सुजान हाजरा का कहना था कि वित्त वर्ष 2026 में ग्रॉस बॉरोइंग 15 से 15.5 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। इसकी वजह आगामी वित्त वर्ष में भुगतान के लिए सिक्योरिटीज का मैच्योर होना है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष में 3.9 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड की राशि मैच्योर हो रही है।

सरकार द्वारा मार्केट से उधार ली जाने वाली अनुमानित रकम मौजूदा वित्त वर्ष के बॉरोइंग प्लान की तर्ज पर है। वित्त वर्ष निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में कहा था कि 4.9 पर्सेंट फिस्कल डेफिसिट की फाइनेसिंग के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान मार्केट से ग्रॉस बॉरोइंग टारगेट 14.01 लाख करोड़ रुपये रह सकता है।

केंद्र सरकार ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की पहली छमाही में तकरीबन 7 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है और दूसरी छमाही में सरकार द्वारा 6.61 लाख करोड़ रुपये उधारी लेने की योजना है। सरकारी की उधारी अर्थव्यवस्था में ब्याज दर तय करने में अहम भूमिका निभाती है। अनुमान से ज्यादा सरकारी बॉरोइंग सभी तरह के बॉन्ड (सोवरेन और कॉरपोरेट) के लिए रेट बढ़ा सकती है। हालांकि, अगर सरकार अनुमान से कम कर्ज लेती है, तो ब्याज दरों में कमी आ सकती है।

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