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Fatty Liver: मोटे नहीं हैं, तो क्या हेल्दी भी हैं? हेल्दी दिखने वालों को भी हो रही फैटी लिवर डिजीज, जानें लक्षण और बचाव

Fatty Liver: नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी ज्यादातर युवाओं को अपना शिकार बना रही है। यह एक मेटाबॉलिक बीमारी है। इस बीमारी पर हुए शोध बताते हैं कि चार में से एक वयस्क किसी न किसी स्तर के फैटी लिवर डिजीज से जूझ रहा है। आइए जानते हैं इसके लक्षण और बचाव का तरीका

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 06, 2025 पर 4:21 PM
Fatty Liver: मोटे नहीं हैं, तो क्या हेल्दी भी हैं? हेल्दी दिखने वालों को भी हो रही फैटी लिवर डिजीज, जानें लक्षण और बचाव
फैटी लिवर डिजीज का समय रहते इलाज न किया जाए तो इससे लिवर कठोर बन सकता है।

Fatty Liver: लिवर में एक सीमा से अधिक फैट सेल्स जमा होने पर फैटी लिवर डिजीज होती है। इसी बीमारी के यूं तो कई कारण हैं, जिसमें मोटापा सबसे आम वजह है। लेकिन, क्या आप जानते हैं आज के दौर में फैटी लिवर सामान्य वजन वाले हट्ठे-कट्ठे दिखने वाले लोगों को भी हो रहा है। आमतौर पर ये धारणा रहती है कि हट्ठे-कट्ठे दिखने वाले लोग अंदर से भी स्वस्थ होते हैं। मगर, ये पूरी तरह सच नहीं है। इस बीमारी पर हुए शोध बताते हैं कि चार में से एक वयस्क किसी न किसी स्तर के फैटी लिवर डिजीज से जूझ रहा है।

न्यूज 18 में इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक एक 28 साल की सामान्य कद-काठी वाली स्वस्थ महिला को हाई डिग्री वाली फैटी लिवर डिजीज होने का पता चला। इस महिला में मोटापे का कोई संकेत नहीं था और न पेट पर चर्बी थी। इसके बावजूद उसका एसजीओटी और एसजीपीटी 600 से 700 यू/एल के बीच था, जबकि इसका सामान्य स्तर 7 से 56 यूएल के बीच होता है। इस महिला को अचानक कुछ दिक्कत महसूस होने पर टेस्ट किए गए। हालांकि शुरुआत में डॉक्टरों को नहीं समझ आ रहा था कि उसके लक्षण किस वजह से हो रहे हैं। ये महिला मेट्रो से चढ़ने-उतरने में दिक्कत महसूस कर रही थी, उसमें खड़े रहने पर उसे बेहोशी आने लगती थी। जरा सी मेहनत में बहुत पसीना होता था।

खून की जांच में उसका एसजीओटी और एसजीपीटी काफी बढ़ हुआ आया। इसके बाद कई अन्य टेस्ट हुए जिनके आधार पर उसे नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज होने की बात पता चली। इस बीमारी को अब मेटाबॉलिक डिस्फंक्शन एसोसिएटेड फैटी लिवर डिजीज का जाता है। दरअसल, फैटी लिवर डिजीज मेटाबॉलिक डिस्फंक्शन की वजह से होती है। इसमें लिवर में सीमित मात्रा से ज्यादा फैट जमा हो जाता है, जिससे खाने को ऊर्जा में बदलने की सामान्य रासायनिक क्रिया में खलल पड़ जाती है। इसके कारण लिवर और पैंक्रिया का सामान्य कामकाज प्रभावित हो जाता है।

लिवर सिरोसिस का बन सकती है कारण

फैटी लिवर डिजीज का समय रहते इलाज न किया जाए तो इससे लिवर कठोर बन सकता है, उसमें घाव या स्कार्स हो सकते है। आगे चलकर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है। सिरोसिस बेहद खतरनाक बीमारी है जिसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

युवाओं में बढ़ रहा फैटी लिवर

इंडियन एक्सप्रेस की खबर में आईएलबीएस के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. अनूप सराया कहते हैं कि नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी ज्यादातर युवाओं को अपना शिकार बना रही है। यह एक मेटाबॉलिक बीमारी है। हैदराबाद में आईटी सेक्टर के 345 कर्मचारियों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार 84% से अधिक में फैटी लिवर डिजीज के लक्षण मिले। अध्ययन के मुताबिक 76.5% कर्मचारियों में एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) का स्तर बढ़ा था। वहीं, 70.7 % मोटापे के शिकार थे और 20.9% में खाली पेट ब्लड शुगर सामान्य से ज्यादा था। डॉ. सराया के मुताबिक नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का सबसे बड़ा कारण है बेतरतीब लाइफस्टाइल है। आजकल के युवा एक्सरसाइज पर ध्यान नहीं देते और अनाप-शनाप जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड खाते रहते हैं।

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