आयुर्वेद में नाभि को पूरे शरीर का केंद्र माना है, जो पूरे शरीर के इलाज में अहम रोल निभाता है। सर्दियों का मौसम शरीर में रूखापन बढ़ाता है, क्योंकि इस मौसम में शरीर में वात दोष बढ़ता है। वहीं, सरसों का तेल एंटी बैक्टीरियल होने के साथ ही शरीर को अंदर से डीटॉक्स करने का भी काम करता है। भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में नाभि पर तेल लगाने को एक सरल लेकिन खुद की देखभाल का कारगर तरीका माना गया है। माना जाता है कि नाभि में नियमित रूप से तेल लगाने से पाचन में सुधार होता है, रक्त संचार बढ़ता है, तनाव कम होता है और वात, पित्त और कफ में सामंजस्य बनता है।
