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लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए भारत-फ्रांस में होगा करार? अमेरिका के साथ ठंडी पड़ी बातचीत

भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांसीसी इंजनों को लेने पर विचार कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली पेरिस स्थित Safran SA कंपनी के साथ इंजनों को लेकर बातचीत कर रहा है। हाल के समय में अमेरिका के साथ बातचीत धीमी पड़ गई है। फिर भी दोनों देश देश में GE F-414 इंजनों के जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग पर बातचीत कर रहे हैं

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Sep 25, 2025 पर 7:53 PM
लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए भारत-फ्रांस में होगा करार? अमेरिका के साथ ठंडी पड़ी बातचीत
Tejas Mark-2 लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए भारत-फ्रांस में डील हो सकती है

India-US relations: नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका के साथ जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग पर बातचीत धीमी गति से चल रही है। इसलिए भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांसीसी इंजनों को लेने पर विचार कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि नई दिल्ली पेरिस स्थित Safran SA कंपनी के साथ इंजनों को लेकर बातचीत कर रहा है। हालांकि उन्होंने नाम न उजागर करने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि ये चर्चाएं अभी भी निजी तौर चल रही हैं। उन्होंने यह साफ नहीं किया कि भारत इन इंजनों को खरीदेगा या इनका जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग करेगा।

भारत के एडवांस स्वदेशी फाइटर जेट Tejas Mark-2 को अमेरिका में बने GE F-414 इंजन से उड़ान भरना है। बाइडेन प्रशासन के दौरान नई दिल्ली और वाशिंगटन ने संयुक्त रूप से इंजनों के निर्माण पर सहमति व्यक्त की थी। Tejas Mk2 का पहला प्रोटोटाइप इस साल अक्टूबर-नवंबर में आने की उम्मीद थी। जबकि दिसंबर से अगले फरवरी तक ट्रायल्स होना।

लेकिन अधिकारियों ने बताया कि हालांकि हाल के समय में अमेरिका के साथ बातचीत धीमी पड़ गई है। फिर भी दोनों देश देश में GE F-414 इंजनों के जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग पर बातचीत कर रहे हैं। भारत Jaguars और Mirage-2000s विमानों की जगह लेने के लिए लगभग 200 एडवांस जेट बनाने की योजना बना रहा है। ये अभी भी उड़ान भर रहे हैं लेकिन जल्द ही रिटायर होने की संभावना है।

इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष के बाद भारत अपनी रक्षा क्षमता का तत्काल निर्माण करना चाहता है। भारत के रक्षा मंत्रालय ने फिलहाल इस खबर पर जवाब मांगने वाले ईमेल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। Safran कंपनी के एक मीडिया प्रतिनिधि ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

भारत इस वक्त फाइटर जेट की कमी से जूझ रहा है। इस वजह से दुनिया की दिग्गज डिफेंस कंपनियों के साथ जॉइंट वेंचर के जरिए उत्पादन बढ़ाने पर विचार कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है।

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