Rafale : भारतीय वायुसेना लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है। वहीं देश की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए भारतीय वायु सेना ने 114 राफेल लड़ाकू विमान अपने बेड़े में शामिल करने का प्लान बनाया है। वायु सेना ने ये प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को सौंपा है और इसके लागू होने पर यह लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का देश का सबसे बड़ा रक्षा समझौता बन जाएगा।
वायु सेना का बेड़े में शामिल हो सकते हैं 114 राफेल
एएनआई के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत 114 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इन विमानों का निर्माण फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के सहयोग से करेगी। भारतीय वायु सेना इस सौदे के लिए पहले ही डिटेल रिपोर्ट सौंप चुकी है, जिसे अब रक्षा, वित्त सहित मंत्रालय के अलग-अलग विभाग देख रहे हैं। इसके बाद यह प्रस्ताव रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाले डिफेंस प्रोक्योरमेंट बोर्ड और फिर डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल के सामने रखा जाएगा।
2 लाख करोड़ की योजना
बता दें कि 2 लाख करोड़ से अधिक की इस योजना के तहत शर्त है कि 60% से ज्यादा पुर्जे भारत में ही तैयार किए जाएं। मंजूरी मिलने पर यह सौदा भारतीय वायुसेना के राफेल बेड़े को काफी मजबूत करेगा। फिलहाल वायुसेना के पास 36 राफेल हैं और नौसेना ने 26 और विमानों का ऑर्डर दिया है। इस तरह भविष्य में भारत के पास कुल 176 राफेल विमान हो सकते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर में निभाया था अहम रोल
नए विमानों की ज़रूरत उस वक्त और बढ़ गई जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल ने अपनी स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से चीनी PL-15 मिसाइलों पर तकनीकी बढ़त दिखाई। भारत में बनने वाले राफेल विमानों को स्कैल्प से भी ज्यादा दूरी तक मार करने वाली हवा से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस किए जाने की संभावना है, जिनका इस्तेमाल पहले पाकिस्तान में लक्ष्यों पर हमलों के दौरान किया गया था।
नए राफेल बेड़े की देखभाल के लिए डसॉल्ट ने हैदराबाद में M-88 इंजनों के लिए एक मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (MRO) सेंटर बनाने का प्रस्ताव रखा है। कंपनी पहले से ही भारत में फ्रांसीसी विमानों की सर्विसिंग के लिए एक सुविधा चला रही है। इसके साथ ही टाटा जैसी भारतीय कंपनियों के भी इस प्रोजेक्ट में स्थानीय निर्माण में अहम भूमिका निभाने की संभावना है।
जानें क्या कहते हैं डिफेंस एक्सपर्ट
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, डिफेंस एक्सपर्ट इस सौदे को भारत की बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच अपनी वायुसेना की ताकत बढ़ाने की ज़रूरत से जोड़कर देख रहे हैं। भविष्य में भारतीय वायुसेना का स्क्वाड्रन मुख्य रूप से Su-30 MKI, राफेल और स्वदेशी लड़ाकू विमानों पर आधारित होगा। भारत पहले ही 180 LCA मार्क-1ए जेट का ऑर्डर दे चुका है और 2035 के बाद बड़ी संख्या में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की योजना बना रहा है।
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