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रिंकू सिंह को चुनाव आयोग से झटका! सपा सांसद प्रिया सरोज से सगाई के बाद छिन गया ये महत्वपूर्ण पद

Rinku Singh: क्रिकेटर रिंकू सिंह की समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज के साथ सगाई हुई। 8 जून को लखनऊ में हुए इस कार्यक्रम में कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां मौजूद थीं, जिनमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव और जया बच्चन भी शामिल थे

Curated By: Abhishek Guptaअपडेटेड Aug 03, 2025 पर 10:05 AM
रिंकू सिंह को चुनाव आयोग से झटका! सपा सांसद प्रिया सरोज से सगाई के बाद छिन गया ये महत्वपूर्ण पद
चुनाव आयोग का मानना है कि एक सक्रिय राजनीतिक हस्ती के साथ रिंकू सिंह के व्यक्तिगत संबंध SVEEP अभियान की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते है

Rinku Singh: क्रिकेटर रिंकू सिंह को उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग से एक झटका लगा है। यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सिस्टमैटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन (SVEEP) कार्यक्रम के स्टेट आइकन के पद से हटा दिया है। चुनाव आयोग (ECI) की मंजूरी के बाद यह फैसला लिया गया है। इस फैसले के पीछे राजनीतिक निष्पक्षता को बनाए रखने का कारण बताया गया है। CEO के ऑफिस ने अलीगढ़ के DEO को तुरंत प्रभाव से रिंकू सिंह की सभी प्रचार सामग्री, जैसे पोस्टर, वीडियो और अन्य माध्यमों को हटाने का निर्देश दिया है।

चुनाव आयोग के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे बहुत ज्यादा सावधानी भरा कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसका समर्थन करते हुए कह रहे हैं कि सार्वजनिक अभियान राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होने चाहिए। इस मामले पर रिंकू सिंह या प्रिया सरोज की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

निष्पक्षता को लेकर उठाया गया कदम

सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज से रिंकू सिंह की सगाई के बाद यह फैसला लिया गया। चुनाव आयोग का मानना है कि एक सक्रिय राजनीतिक हस्ती के साथ रिंकू सिंह के व्यक्तिगत संबंध SVEEP अभियान की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते है और यह नियमों के खिलाफ भी है। ECI ने अलीगढ़ के DEO को लिखे पत्र में साफ कहा है कि सार्वजनिक अभियानों में निष्पक्षता और तटस्थता सबसे महत्वपूर्ण है। एक अधिकारी ने बताया, 'ECI रिंकू सिंह के एक प्रसिद्ध खिलाड़ी होने का सम्मान करता है, लेकिन एक राजनीतिक नेता से उनके व्यक्तिगत संबंध को जनता पक्षपातपूर्ण मान सकती है, जिससे मतदाता जागरूकता अभियान की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।'

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