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UP के देवबंद क्यों पहुचे तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी?

अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद से किसी वरिष्ठ तालिबान नेता का दारुल उलूम देवबंद का यह पहला दौरा है। मुत्तकी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली से सड़क मार्ग से देवबंद पहुंचे। दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) अबुल कासिम नोमानी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और दारुल उलूम के पदाधिकारियों ने दारुल उलूम देवबंद में अफगानी विदेश मंत्री का स्वागत किया

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 11, 2025 पर 6:18 PM
UP के देवबंद क्यों पहुचे तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी?
UP के देवबंद क्यों पहुचें तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी

एक बड़ी कूटनीतिक घटनाक्रम में, अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा करने के उद्देश्य से सात दिन की यात्रा पर भारत आए हैं। अपने यात्रा कार्यक्रम के तहत, मुत्तकी शनिवार को उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक दारुल उलूम देवबंद पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से कहा, "देवबंद में सभी लोगों की ओर से किए गए गर्मजोशी भरे स्वागत और मुझ पर बरसाए गए प्यार के लिए मैं आप सभी का आभारी हूं। मैं अल्लाह से दुआ करूंगा कि भारत-अफगानिस्तान के रिश्ते और बेहतर हों। दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद, मैं कह सकता हूं कि हमारा भविष्य उज्ज्वल है। मुझे उम्मीद है कि दिल्ली और काबुल के बीच हमारी मुलाकातें बढ़ेंगी।"

अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद से किसी वरिष्ठ तालिबान नेता का दारुल उलूम देवबंद का यह पहला दौरा है। मुत्तकी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली से सड़क मार्ग से देवबंद पहुंचे। दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) अबुल कासिम नोमानी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और दारुल उलूम के पदाधिकारियों ने दारुल उलूम देवबंद में अफगानी विदेश मंत्री का स्वागत किया।

दारुल ऊलूम देवबंद तालिबान के लिए एक अहम धार्मिक और विचारधारात्मक प्रतीक है। तालिबान के कई वरिष्ठ कमांडर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित दारुल ऊलूम हक्कानिया में पढ़े हैं, जो देवबंद की तर्ज पर बना हुआ एक मदरसा है।

हक्कानिया के संस्थापक मौलाना अब्दुल हक ने विभाजन से पहले देवबंद में पढ़ाई की थी और वहीं पढ़ाया भी था। बाद में उनके बेटे सामी-उल-हक को उनके मदरसे की भूमिका के कारण "तालिबान का जनक" कहा गया, क्योंकि इस मदरसे ने तालिबान आंदोलन के गठन में अहम योगदान दिया।

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