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MP Election 2023 : इस बार आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए क्यों BJP और Congress के बीच लगी है होड़?

मध्य प्रदेश के 54 जिलों में मान्यताप्राप्त 56 अनुसूचित जनजातियां हैं। इनमें छह बड़े आदिवासी समूह हैं-भील, गोड़, कोल, कुर्कु, सहरिया और बैगा। राज्य की 1.53 करोड़ आदिवासी आबादी में इनकी 90 फीसदी हिस्सेदारी है। संविधान की छठी अनुसूची के तहत अभी असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में आदिवासी इलाकों के प्रशासन की इजाजत है। इसका मकसद आदिवासी लोगों की हितों की सुरक्षा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 18, 2023 पर 2:46 PM
MP Election 2023 : इस बार आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए क्यों BJP और Congress के बीच लगी है होड़?
कांग्रेस ने 2018 में अनुसूचित जनजाति (STs) के लिए रिजर्व 47 सीटों में से 31 सीटे जीती थी। वह इस बार इस संख्या को बढ़ाना चाहती है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चार आदिवासी बहुल इलाकों में एक साथ चुनावी रैलियों को संबोधित किया है।

मध्य प्रदेश में चुनाव अचार संहित लागू होने से पहले कांग्रेस इस बात से परेशान दिखती थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले बड़ी स्कीम का ऐलान करते थे। फिर, तुरंत उसे लागू करने की अधिसूचना जारी हो जाती थी। चुनावों के ऐलान के बाद अचार संहिता लागू हो गई है। इससे मुख्यमंत्री के नई स्कीम लागू करने पर रोक लग गई है। हालांकि, वे नई स्कीमों का ऐलान करने के लिए आजाद हैं। शिवराज का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने 'पढ़ो-पढ़ाओ योजना' का ऐलान किया है। यह कांग्रेस की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका ऐलान पार्टी की स्टार कंपनेटर और महासचिव प्रियंका गांधी ने मांडला जिले में किया है।

कांग्रेस की स्कीम ने भाजपा की बढ़ाई टेंशन

गांधी ने कहा कि इस योजना के तहत पहली से 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स को हर महीने सरकार की तरफ से स्कॉलरशिप दी जाएगी। यह प्रति माह 500 से 1,500 रुपये के बीच होगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर यह योजना लागू कर दी जाएगी। राज्य में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में विधानसभी की कुल 230 सीटे हैं। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। यह चुनाव BJP और Congress के लिए कई मायनों में अहम है। हिमाचल और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों को जीतने के बाद कांग्रेस इस चुनाव में जीत हासिल कर यह संदेश देना चाहती है कि वह भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है। खासकर अगले साल लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह बहुत अहम है। दूसरी तरफ भाजपा यह दिखाना चाहती है कि मतदाताओं के बीच उसकी लोकप्रियता में किसी तरह की कमी नहीं आई है।

आदिवासी मतदाताओं पर नजर

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