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क्यों महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति का सबसे जटिल चेहरा बन गए हैं अजीत पवार?

बारामती के बुजुर्ग अब भी उस युवा अजीत पवार को याद करते हैं, जो अपनी राजदूत मोटरसाइकिल से शहर की सड़कों को नापा करते थे। स्थानीय लोगों से संपर्क करने के लिए यह दोपहिया उनका पसंदीदा वाहन था। तीन दशक बाद महाराष्ट्र की राजनीति में वह अहम शख्सियत बनकर उभर हैं और राजनीतिक गलियारों में कई लोग उन्हें 'सीएम इन वेटिंग' के तौर पर भी जानते हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 19, 2024 पर 8:44 PM
क्यों महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति का सबसे जटिल चेहरा बन गए हैं अजीत पवार?
अजीत पवार को अक्सर विभिन्न रूपों में जाना जाता है: एक मजबूत नेता, कुशल प्रशासक, बागी, अवसरवादी और यहां तक कि भ्रष्टाचार में शामिल शख्स के तौर पर भी।

बारामती के बुजुर्ग अब भी उस युवा अजीत पवार को याद करते हैं, जो अपनी राजदूत मोटरसाइकिल से शहर की सड़कों को नापा करते थे। स्थानीय लोगों से संपर्क करने के लिए यह दोपहिया उनका पसंदीदा वाहन था। तीन दशक बाद महाराष्ट्र की राजनीति में वह अहम शख्सियत बनकर उभर हैं और राजनीतिक गलियारों में कई लोग उन्हें 'सीएम इन वेटिंग' के तौर पर भी जानते हैं।

अजीत पवार को अक्सर विभिन्न रूपों में जाना जाता है: एक मजबूत नेता, कुशल प्रशासक, बागी, अवसरवादी और यहां तक भ्रष्ट शख्स के तौर पर भी। उनका जन्म बारामती से 200 किलोमीटर दूर देवलाली परवरा नामक गांव में हुआ था। उनकी राजनीतिक यात्रा अपने प्रभावशाली चाचा शरद पवार के गाइडेंस में शुरू हुई। वह काफी कम उम्र के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। लिहाजा कम उम्र में ही उन्हें अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी।

अजीत पवार ने 1980 के दशक में राजनीति में प्रवेश किया था। उस वक्त तक उनके चाचा शरद पवार राजनीति में अहम जगह बना चुके थे। 1982 में अजीत पवार शुगर मिल बोर्ड में शामिल हुए और उसके बाद पुणे जिले के सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन बन गए। उनकी पहली बड़ी राजनीतिक सफलता 1991 में देखने को मिली, जब बाारामती से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए। हालांकि, जल्द ही अपने चाचा के लिए उन्हें यह सीट खाली करनी पड़ी। महाराष्ट्र की राजनीति में उनका करियर लगातार आगे बढ़ता गया।

अजीत की राजनीति यात्रा करीबी तौर पर शरद पवार के साथ जुड़ी थी और वह उस वक्त भी चाचा के साथ बने रहे, जब 1999 में शरद पवार ने कांग्रेस छोड़कर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया। महाराष्ट्र में कई मंत्रालय संभालने के बावजूद अजीत पवार की मुख्यमंत्री बनने की कोशिशों पर शरद पवार पलीता लगाते आए हैं। 2004 में उनके पास मुख्यमंत्री बनने का मौका था, क्योंकि NCP के पास कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा सीटें थीं। हालांकि, शरद पवार ने यूपीए सरकार में अतिरिक्त कैबिनेट बर्थ के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी कांग्रेस के लिए छोड़ने का फैसला किया। अजीत पवार ने सार्वजनिक तौर पर इस फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी।

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