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ब्रोकरेज फर्में बैंक गारंटी के लिए क्लाइंट्स के फंड का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी, SEBI के इस आदेश का क्या होगा असर?

एनालिस्ट्स का कहना है कि मार्केट रेगुलेटर के इस फैसले का नियर टर्म में असर पड़ेगा। उनका कहना है कि इसका ज्यादा असर उन ब्रोकरेज फर्मों पर ज्यादा पड़ेगा जो अपने फायदे के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करती हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 28, 2023 पर 12:57 PM
ब्रोकरेज फर्में बैंक गारंटी के लिए क्लाइंट्स के फंड का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी, SEBI के इस आदेश का क्या होगा असर?
सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा है कि मई से स्टॉक ब्रोकर्स और क्लियरिंग मेंबर्स (CMs) बैंक गारंटी के लिए क्लाइंट के फंड्स का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।

SEBI ने ब्रोकरेज फर्मों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। उसने उन्हें खुद की बैंक गारंटी (BG) के लिए क्लाइंट्स के फंड्स का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। एनालिस्ट्स का कहना है कि मार्केट रेगुलेटर के इस फैसले का नियर टर्म में असर पड़ेगा। उनका कहना है कि इसका ज्यादा असर उन ब्रोकरेज फर्मों पर पड़ेगा जो अपने फायदे के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करती है। केयर रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि इसका असर बैंक गांरटी पर पड़ेगा। लेकिन, इंडिया में बैंकिंग सिस्टम के आकार को देखते हुए यह असर मामूली होगा।

एक्सपर्ट्स की राय

IDBI Bank के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश किशनचंद खंतहार ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में जारी होने वाले कुल बैंक गारंटी में स्टॉक ब्रोकर्स की गांरटी की हिस्सेदारी बहुत कम है। इसलिए बैंकिंग सेक्टर पर इसका असर मामूली पड़ने की उम्मीद है। बैंक गारंटी में बैंक डेटर (Debtor) के ऑब्लिगेशन (कर्ज) को समय पर चुकाने की गारंटी देता है। इसका मतलब यह है कि अगर बॉरोअर (Borrower) अपना कर्ज चुकाने में नाकाम रहता है तो बैंक उस कर्ज को चुकाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मार्केट में इश्यू होने वाले कुल बैंक गारंटी में स्टॉक ब्रोकर्स और क्लियरिंग मेंबर्स को इश्यू होने वाली गारंटी की हिस्सेदारी सिर्फ 2.5 फीसदी है।

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