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यूनियन बजट 2023: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के इन उपायों से घर खरीदने में बढ़ेगी लोगों की दिलचस्पी

Budget 2023: कोरोना की महामारी की सबसे ज्यादा मार जिन सेक्टर पर पड़ी थी, उनमें रियल एस्टेट सेक्टर शामिल था। अब यह सेक्टर धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। ऐसे में इसे सरकार की मदद की जरूरत है। उम्मीद है कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण यूनियन बजट में इस सेक्टर की ग्रोथ तेज करने वाले उपायों का ऐलान कर सकती हैं

अपडेटेड Jan 17, 2023 पर 1:56 PM
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Budget 2023: रीयल एस्टेट सेक्टर भारी दबाव से जूझ रहा है। हालांकि बजट से इसे सपोर्ट मिल सकता है।

Union Budget 2023: रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में रिकवरी दिख रही है। हीरानंदानी ग्रुप के फाउंडर एवं एमडी निरंजन हीरानंदानी का कहना है कि अगर बजट में सरकार इस सेक्टर की ग्रोथ बढ़ाने वाले उपायों का ऐलान करती है तो इससे पूरे सेक्टर को फायदा होगा। सरकार सेक्शन 24(बी) के तहत होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने पर विचार कर सकती है। इसके अलावा रियल एस्टेट डेवलपर्स को लंबी अवधि की फंडिंग की कमी न हो, इसके लिए सरकार इसे इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस देने पर विचार कर सकती है।

रियल एस्टेट डेवलपर्स को Budget 2023 से ये हैं उम्मीदें

निरंजन ने बताया कि अगर बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस देने का ऐलान होता है तो इससे लॉन्ग टर्म लोन सस्ते में मिल सकेगा। इसके अलावा अगर सेक्शन 24(बी) के तहत होम लोन इंटरेस्ट पर डिडक्शन की सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाता है तो घर खरीदारों के हाथ में पैसे बढ़ेंगे। उनकी मांग यह भी है कि लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो को एक करोड़ रुपये तक की प्रॉपर्टी के लिए 90 फीसदी किया जाना चाहिए। अभी 45 लाख रुपये तक की प्रॉपर्टी के लिए 90 फीसदी तक की वैल्यू के बराबर लोन मिल पाता है।

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इसके अलावा सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए टाइम पीरियड को तीन साल से घटाकर एक साल कर सकती है जैसा कि इक्विटीज के मामले में है। अगर कोई घर खरीदार अपनी पुरानी प्रॉपर्टी को बेचकर पैसों को दो से अधिक प्रॉपर्टीज में निवेश करता है तो इस मामले में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स बेनेफिट मिलना चाहिए। अभी सेक्शन 54 के तहत दो प्रॉपर्टीज खरीदने या बनाने पर ऐसी छूट मिलती है। इसके अलावा स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन में राहत दी सकती है। सरकार टैक्स इनसेंटिव और क्रेडिट सब्सिडी योजनाओं का भी विस्तार कर सकती है ताकि अधिक से अधिक घर खरीदार इनका फायदा उठा सकें।

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RERA के विस्तार की भी मांग

रियल एस्टेट सेक्टर में एक बड़ी दिक्कत ये आती है कि प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो पाते हैं। इसका असर घर खरीदारों के साथ-साथ डेवलपर्स पर भी पड़ता है क्योंकि लागत बढ़ जाती है। निरंजन हीरानंदानी के मुताबिक इसके लिए नियामकीय और सरकारी मंजूरी को भी RERA (रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) के तहत लाया जाना चाहिए।

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