Budget 2023: रीयल एस्टेट सेक्टर लंबे समय से बजट से कुछ खास उम्मीदें लगाए हुए है। इस बार भी रीयल एस्टेट सेक्टर की मांग ये है कि इसे इंडस्ट्री का स्टेटस दे दिया जाए। इससे रीयल एस्टेट सेक्टर को लंबी अवधि का कर्ज सस्ते में मिल सकता है। रीयल एस्टेट सेक्टर बजट से खरीदारों के लिए भी खास राहत की उम्मीद कर रहा है। इसके तहत मांग है कि खरीदारों को घर खरीदने के लिए टैक्स ब्रेकेट बढ़ाकर तोहफा दिया जाए। वहीं लांग टर्म कैपिटल गेन्स मुनाफे के लिए अभी जो 36 महीने का पीरियड 36 महीने है, उसे 12 महीने किया जाए यानी कि प्रॉपर्टी के मामले में भी तीन साल की बजाय एक साल से अधिक की ही होल्डिंग को लांग टर्म में रखा जाए। रीयल एस्टेट सेक्टर की वित्त मंत्री से मांग है कि रीयल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) को बैंकों से कर्ज जुटाने की मंजूरी दी जाए। इन सबके अलावा रीयल एस्टेट सेक्टर को बजट से और भी उम्मीदें हैं।
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जमीन के लिए बैंकों से कर्ज लेना काफी मुश्किल होता है और महंगा भी। अभी कम समय के लिए प्रोजेक्ट लोन मिलता है जबकि जरूरत लॉन्ग टर्म के लिए है। ऐसे में डेवलपर्स को ज्वाइंट तरीके से जमीन के लिए पैसे जुटाना पड़ता है। जमीन खरीदने के बाद डेवलपर्स को प्रोजेक्ट की योजना तैयार करनी होती है और अप्रूवल लेना होता है। इसमें कितना समय लगेगा, इसकी अधिकतम सीमा तय नहीं है तो जमीन खरीदने के लिए जो कर्ज जुटाया गया है, उसका ब्याज चढ़ता रहता है।
जमीन के रिकॉर्ड्स का डिजटलीकरण
डेवलपर की एक और अहम मांग है कि जमीनों के रिकॉर्ड्स को डिजिटल किया जाए। इस काम के लिए वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने रिसोर्सेज एलोकेट किए थे लेकिन अभी तक इस पर काम पूरा नहीं हो सका है। सिर्फ महाराष्ट्र ही एक ऐसा राज्य है जहां कुछ हद तक डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है लेकिन अभी भी अधिक करने की जरूरत है।
पॉलिसी को लेकर ये है उम्मीद
अगले कुछ वर्षों में 7 हजार से अधिक नए शहर तैयार होने हैं। रीयल एस्टेट सेक्टर बजट से उम्मीद कर रहा है कि इसमें स्टेट रेंटल हाउसिंग पॉलिसी को लेकर कुछ ऐलान हो सकता है। इसके अलावा प्रोजेक्ट टाइम की लिमिट को बढ़ाकर 5 साल किया जाए। इसके अलावा बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग फंड पर भी विचार किया जा सकता है ताकि बड़े और छोटे नगरों में छोटी यूनिट्स बनाने के लिए डेवलपर्स को इनसेंटिव दिया जा सके। इसके अलावा अफोर्डेबल हाउसिंग की सफलता के लिए जरूरी है कि स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन को लेकर कुछ राहत मिले।
SDG Goals को लेकर इनसेंटिव की मांग
इस समय दुनिया भर में सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDG) पर फोकस बना हुआ है जिसके तहत पर्यावरण के लिए हितकारी तकनीकों के प्रयोग को बढ़ावा देना है। अब रीयल एस्टेट सेक्टर इसे लेकर इनसेंटिव की मांग कर रही है ताकि इको-सेंसेटिव मैटेरियल्स को यहीं बना सके और ऐसा प्रोसेस फॉलो करे जिसमें बिजली की खपत भी कम हो। रीयल एस्टेट सेक्टर को बजट से अतिरिक्त FAR (फ्लोर एरिया रेशियो)/FSI (फ्लोर स्पेस इंडेक्स), टैक्स इनसेंटिव और म्यूनिसिपल टैक्स की कम दरें जैसे इनसेंटिव की उम्मीद है ताकि शहर एसडीजी टारगेट को पूरा कर सकें।
रिसाइकल प्रोडक्ट को लेकर ये है उम्मीदें
रीयल एस्टेट सेक्टर को उम्मीद है कि बजट में रिसाइकल प्रोडक्ट्स को लेकर निर्देश दिया जाएगा। अधिकतर ऐसा होता है कि निर्माण या किसी कंस्ट्रक्शन को गिराने के बाद जो मलबा होता है, उसके निपटारे में दिक्कत आती है क्योंकि पीडब्ल्यूडी ने रिसाइकिल प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना अनिवार्य नहीं किया है। इसके अलावा बजट में मलबे, पानी के रिसाइकलिंग के लिए अधिक आरएंडडी फंड देने की मांग है।
फंडिंग के नए विकल्प लाए जाएं
REITs के आने से कॉमर्शियल रीयल एस्टेट को बहुत फायदा मिला है। रीयल एस्टेट सेक्टर की मांग है कि खुदरा निवेशकों के लिए ऐसे और निवेश विकल्प लाए जाने चाहिए जिससे उन्हें कैपिटल गेन पर टैक्स बचाने में मदद मिले। इससे खुदरा निवेशक इन विकल्पों में अपने पैसे डालेंगे और उनके पैसों का इस्तेमाल रीयल एस्टेट सेक्टर की फंडिंग के लिए की जा सकेगी। अभी डेवलपर्स ने अपनी तरफ से कुछ अनौपचारिक स्कीम पेश किया है जिसे सुरक्षित कर औपचारिक किया जा सकता है। यह सभी के लिए फायदे का सौदा होगा। इसके अलावा म्यूनिसिपल बॉन्ड्स पर भी विचार किया जा सकता है। इसमें डेवलपर्स करीब 100 एकड़ के स्टैंडएलोन सिटीज तैयार करेंगे और फिर इनके आधार पर सिविक बॉन्ड्स बनाए जाएंगे।
(Article: E Jayashree Kurup, Director, Real Estate & Cities, Wordmeister Editorial Services)