Get App

Union Budget 2024: घरेलू मांग को तेज करने के लिए बजट में उपाय जरूरी

मौजूदा वित्त वर्ष में ग्रोथ मुख्य तौर पर सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर आधारित रही है। अगले वित्त वर्ष यानी FY2025 में भी यह सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि कंजम्प्शन की स्थिति अच्छी नहीं है और प्राइवेट सेक्टर की नजरें फिलहाल भविष्य पर हैं। वित्त वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ (GDP GROWTH) 7.3 पर्सेंट रहने का अनुमान है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 19, 2024 पर 9:09 PM
Union Budget 2024: घरेलू मांग को तेज करने के लिए बजट में उपाय जरूरी
Union Budget 2024: कंजम्प्शन ग्रोथ में औसत से ज्यादा गिरावट इकनॉमी में गड़बड़ी की तरफ इशारा करती है।

मौजूदा वित्त वर्ष में ग्रोथ मुख्य तौर पर सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर आधारित रही है। अगले वित्त वर्ष यानी FY2025 में भी यह सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि कंजम्प्शन की स्थिति अच्छी नहीं है और प्राइवेट सेक्टर की नजरें फिलहाल भविष्य पर हैं। वित्त वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ (GDP GROWTH) 7.3 पर्सेंट रहने का अनुमान है। सरकार और एक्सपर्ट्स जहां इस अनुमान से काफी खुश और संतुष्ट हैं, लेकिन एक तबका ऐसा भी है, जो अनुमानित आंकड़ों में मौजूद कमजोरियों की तरफ भी इशारा कर रहा है।

क्या कहता है GDP डेटा

आंकड़ों की बारीक पड़ताल करने पर पता चलता है कि कुल जीडीपी में घरेलू खपत की हिस्सेदारी महज 56.9 पर्सेंट है, जो पिछले साल के मुकाबले 1.50 पर्सेंट कम है। इसके अलावा, पिछले वित्त वर्ष में प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से घरेलू खर्च की ग्रोथ में महज 3.5 पर्सेंट की ग्रोथ देखने को मिली। इन आंकड़ों के लिहाज से प्रति व्यक्ति जीडीपी का आकलन किया जाए, तो इसका मतलब है कि जीडीपी ग्रोथ सिर्फ सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर पर आधारित है, न कि घरेलू खपत पर।

कंजम्प्शन ग्रोथ में औसत से ज्यादा गिरावट इकनॉमी में गिरावट की तरफ इशारा करती है, क्योंकि आर्थिक लाभ समाज के सबसे निचले पायदान तक नहीं पहुंच पा रहा है। हालांकि, सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और जीडीपी में इनवेस्टमेंट का योगदान पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 0.90 पर्सेंट ज्यादा है। इस एक्सपैंशन से कोर इंडस्ट्रीज को सहारा मिल रहा है। हालांकि, इससे फिस्कल क्षमता पर भी बुरा असर पड़ रहा है। सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर की वजह से सरकार को वित्तीय मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। एक सीमा के बाद इसमें बढ़ोतरी और प्राइवेट सेक्टर की सक्रिय भूमिका के बिना ग्रोथ की यह कहानी कभी भी औंधे मुंह गिर जाएगी।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें