अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर की फीस लगाने के फैसले का बड़ा असर आईटी आउटसोर्सिंग और स्टाफिंग इंडस्ट्रीज पर पड़ेगा। विदेशी वर्कर्स के लिए अमेरिका में काम करने के लिए एच-1बी वीजा जरूरी है। ब्लूमबर्ग की एनालिसिस के मुताबिक, इस फीस का उन मल्टीनेशनल स्टाफिंग फर्मों पर असर पड़ेगा, जो एच-1बी वर्कर्स की तलाश वाली कंपनियों के लिए मिडिलमैन का काम करती हैं। इनमें टीसीएस, इंफोसिस और कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस जैसी कंपनियां शामिल हैं।
