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प्रतिबंध के बाद भारतीय बंदरगाहों पर फंसा 6 लाख टन से अधिक चावल, ट्रेडर्स ने सरकार से मांगी मदद

भारत सरकार ने कुछ हफ्ते पहले अचानक चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद कम से कम 20 जहाज पिछले एक पखवाड़े से करीब 6 लाख टन चावल के लोड होने का इंतजार कर रहे हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 20, 2022 पर 6:48 PM
प्रतिबंध के बाद भारतीय बंदरगाहों पर फंसा 6 लाख टन से अधिक चावल, ट्रेडर्स ने सरकार से मांगी मदद
भारत सरकार ने 8 सितंबर को चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था

भारत सरकार ने कुछ हफ्ते पहले अचानक चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके चलते कई कार्गो पिछले एक पखवाड़े से भारतीय बंदरगाहों पर फंसे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इंडस्ट्री के अधिकारियों के हवाले से बताया कि भारतीय बंदरगाहों पर कम से कम 20 जहाज करीब 6 लाख टन चावल के लोड होने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि समय से चावल नहीं लोड हो पाने के कारण ये जहाज नियत समय पर बंदरगाहों को खाली नहीं कर पाए, ऐसे में अब इन्हें मजबूरन विलंब शुल्क देना पड़ रहा है।

भारत सरकार ने 8 सितंबर को टूटे चावलों के एक्सपोर्ट को बैन कर दिया और विभिन्न किस्मों के चावल के एक्सपोर्ट पर 20 फीसदी शुल्क लगा दिया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्टर है। हालांकि इस साल मॉनसून के दौरान सामान्य से कम बारिश होने के कारण धान का रकबा घटा है। ऐसे में कीमतों को काबू में रखने और घरेलू मार्केट में चावल की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित रखने के लिए सरकार को एक्सपोर्ट पर अंकुश लगाना पड़ा।

द राइस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन (TERA) के प्रेसिडेंट बी वी कृष्णा ने बताया कि सरकार के इस अचानक उठाए कदम से वे कार्गो (जहाज में लदने वाला माल) फंस गए, जो इस ऐलान से पहले ही बंदरगाहों के लिए निकल गए थे या बंदरगाहों पर पहुंच गए थे। उन्होंने कहा, "हमने सरकार से आग्रह किया है कि वे हमें इन कार्गो पर नियमो सें छूट दें क्योंकि हमें इसकी वजह से भारी विलंब शुल्क चुकाना पड़ रहा है।"

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