Get App

शुरू हो गई Byju's की दिवालिया प्रक्रिया, मौजूदा और पूर्व एंप्लॉयीज के सामने अब सिर्फ यह विकल्प

भारतीय क्रिकेट बोर्ड BCCI की याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने 16 जुलाई को बायजूज (Byju's) की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दे दी। बीसीसीआई ने यह केस 158 करोड़ रुपये के स्पांसरशिप बकाए को लेकर दायर किया था। अब ट्रिब्यूनल ने पंकज श्रीवास्तव को बायजूज का अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) बनाया है और पंकज के पास ही अब कंपनी की पूरी कमान है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Jul 18, 2024 पर 11:04 AM
शुरू हो गई Byju's की दिवालिया प्रक्रिया, मौजूदा और पूर्व एंप्लॉयीज के सामने अब सिर्फ यह विकल्प
Byju’s बीसीसीआई के साथ कोर्ट के बाहर भी सेटलमेंट का रास्ता अपना सकती है। हालांकि एक मामले में भी अगर इनसॉल्वेंसी की याचिका मंजूर हो गई तो सभी क्रेडिटर्स के मामले में इनसॉल्वेंसी को स्वीकार माना जाता है. चाहे वे फाइनेंशियल क्रेडिटर्स हों या ऑपरेशनल क्रेडिटर्स।

भारतीय क्रिकेट बोर्ड BCCI की याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने 16 जुलाई को बायजूज (Byju's) की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दे दी। बीसीसीआई ने यह केस 158 करोड़ रुपये के स्पांसरशिप बकाए को लेकर दायर किया था। अब ट्रिब्यूनल ने पंकज श्रीवास्तव को बायजूज का अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) बनाया है और पंकज के पास ही अब कंपनी की पूरी कमान है। वह तब तक कंपनी संभालेंगे, जब तक लेंडर्स क्रेडिटर्स की कमेटी (CoC) नहीं बना लेते हैं। एनसीएलटी ने मामले को ऑर्बिट्रेशन यानी मध्यस्थ के पास भेजने के बायजूज के अनुरोध को खारिज कर दिया।

अब बायजूज इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस के दौरान अपनी किसी संपत्ति की बिक्री नहीं कर सकेगी। इसके अलावा बायजूज के खिलाफ कोई भी मुकदमा फिलहाल आगे नहीं बढ़ेगा। इस दौरान कर्ज पर ब्याज भी नहीं बढ़ेगा। अब सवाल उठता है कि बायजूज इस स्थिति में कैसे पहुंची, आगे क्या होगा, मौजूदा-पूर्व एंप्लॉयीज का क्या होगा?

कैसे बना बुलबुला?

कोरोना महामारी के दौरान कई टेक स्टार्टअप का कैशफ्लो रातोंरात जीरो हो गया और कुछ महीने के लिए नई फंडिंग ही नहीं आई। इसी समय इक्विटी के रूप में डेट फाइनेंसिंग का चलन तेजी से एकाएक बढ़ गया। हालांकि इस बात की आशंका हमेशा बनी रही कि जब बड़ी डिजिटल कंपनियां दिवालिया होंगी तो क्या होगा? ई-कॉमर्स ऐप और वेबसाइट बनाने वाले स्टार्टअप्स के पास शायद ही कोई अचल संपत्ति होती है। हालांकि यह माना गया कि उनके पास ब्रांड, प्लेटफॉर्म के यूजर्स डेटाबेस और यूजेज पैटर्न्स, ऐप या वेबसाइट का कोडबेस; ये तीन चीजें तो मिलेंगी हीं। हालांकि महामारी के दौरान दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही थीं, तो सभी किंतु-परंतु को डस्टबिन में डाल दिया गया।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें