तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है, जो कई वजहों से होता है। जब बाजार में पेट्रोल या डीजल की मांग अचानक बढ़ जाती है, तो कीमतों में भी तेजी आ जाती है। इसी तरह अगर किसी कारण आपूर्ति हो जाए, तो इसका असर भी सीधे दामों पर पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें और डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती है। क्योंकि भारत अधिकतर कच्चा तेल आयात करता है, इसलिए विदेशी मुद्रा विनिमय दर का असर सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचता है। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स भी ईंधन की कीमतों को प्रभावित करते हैं।
