चावल की कीमतें 15 साल के सबसे हाई लेवल पर पहुंच गगई हैं। चावल की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जबकि इसकी सप्लाई कम रहने की आशंका है। अल-नीनी के असर से धान का उत्पादन कम रह सकता है। एशियाई और अफ्रीकी देशों में चावल सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले अनाजों में से एक है। थाई व्हाइट राइस की कीमत 20 दिसंबर को 2.5 फीसदी बढ़कर 650 डॉलर प्रति टन पहुंच गई। चावल की इस किस्म को एशिया में चावल के लिए बेंचमार्क माना जाता है। राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि 2008 के बाद पहली बार थाई व्हाइट चावल की कीमत इस लेवल पर पहुंची है। चावल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस साल अगस्त में बढ़नी शुरू हो गई थीं। इसकी वजह यह है कि इंडिया ने गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का ऐलान किया था। इंडिया चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है।