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National Logistics Policy: NLP लॉजिस्टिक्स में वही बदलाव ला सकती है जो UPI ने पेमेंट्स में लाया है

इंडिया में गुड्स को एक जगह से दूसरी जगह भेजने पर बहुत ज्यादा खर्च आता है। हालांकि, इस कॉस्ट के बारे में कोई सरकारी डेटा नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यह इंडिया की जीडीपी का 13-14 फीसदी है। यूरोपीय देशों में यह सिर्फ 8-9 फीसदी है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 17, 2022 पर 4:50 PM
National Logistics Policy: NLP लॉजिस्टिक्स में वही बदलाव ला सकती है जो UPI ने पेमेंट्स में लाया है
ट्रांसपोर्टेशन की ज्यादा कॉस्ट का असर कई तरह से पड़ता है। इससे महंगाई बढ़ती है। चीजों की ढुलाई महंगी होने पर ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते उसकी कीमत काफी बढ़ जाती है।

आपने हाईवे पर राज्यों के बॉर्डर पर ट्रकों और लॉरीज की लंबी कतारें देखी होंगी। इसकी वजह सिर्फ टोल नहीं है, जो उन्हें सफर जारी रखने के लिए चुकाना पड़ता है। इसकी बड़ी वजह डॉक्युमेंट से जुड़ी कई तरह की औपचारिकताएं हैं, जिसे पूरा करना उनके लिए जरूरी है।

इंडिया में गुड्स को एक जगह से दूसरी जगह भेजने पर बहुत ज्यादा खर्च आता है। हालांकि, इस कॉस्ट के बारे में कोई सरकारी डेटा नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यह इंडिया की जीडीपी का 13-14 फीसदी है। यूरोपीय देशों में यह सिर्फ 8-9 फीसदी है।

ट्रांसपोर्टेशन पर ज्यादा कॉस्ट का असर कई तरह से पड़ता है। पहला, इससे महंगाई बढ़ती है। चीजों की ढुलाई महंगी होने पर ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते उसकी कीमत काफी बढ़ जाती है। दूसरा, इससे ग्लोबल मार्केट में इंडियन गुड्स महंगा होने से उसकी प्रतिस्पर्धा की क्षमता घट जाती है। इस वजह से इंडिया ग्लोबल मार्केट में संभावनाओं का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है।

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