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RBI Monetary Policy: आरबीआई हर दो महीने में एक बार क्यों पेश करता है मॉनेटरी पॉलिसी?

RBI Monetary Policy: RBI एक फाइनेंशियल ईयर में छह बार मॉनेटरी पॉलिसी पेश करता है। इस तरह यह पॉलिसी हर दो महीने में एक बार आती है। इकोनॉमी की स्थिति और जरूरत को देखते हुए केंद्रीय बैंक मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव करता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 05, 2024 पर 9:44 AM
RBI Monetary Policy: आरबीआई हर दो महीने में एक बार क्यों पेश करता है मॉनेटरी पॉलिसी?
आरबीआई के पास ऐसे कई टूल्स हैं, जिनका इस्तेमाल वह चीजों को नियंत्रण में रखने के लिए करता है।

RBI Monetary Policy: फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी 5 अप्रैल को आने वाली है। RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग 3 अप्रैल को शुरू हुई थी। 5 अप्रैल को सुबह 10 बजे आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी की बैठक के नतीजे बताएंगे। केंद्रीय बैंक हर दो महीने पर मॉनेटरी पॉलिसी पेश करता है। मॉनेटरी पॉलिसी का मकसद क्या है, मॉनेटरी पॉलिसी कितने तरह की होती है और मॉनेटरी पॉलिसी के कितने टूल होते हैं? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

मॉनेटरी पॉलिसी का मकसद क्या है?

सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि मॉनेटरी पॉलिसी का मकसद क्या है। RBI का काम इकोनॉमी से जुड़ी कई चीजों का प्रबंधन करना है। इनमें इनफ्लेशन, इकोनॉमी में मनी फ्लो, क्रेडिट डिस्ट्रिब्यूशन, इकोनॉमिक ग्रोथ आदि शामिल हैं। इनमें सबकी अपनी अहमियत है। लेकिन, सबसे प्रमुख है इनप्लेशन। केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी इनफ्लेशन को नियंत्रण में रखना है। ज्यादा इनफ्लेशन न सिर्फ आम लोगों की जिदंगी मुश्किल बना देता है बल्कि यह इकोनॉमी के लिए भी खराब है। RBI समय-समय पर इनफ्लेशन को लेकर अपने अनुमान बताता है। वह इनफ्लेशन का टारगेट भी तय करता है। इनफ्लेशन ज्यादा होने पर वह इसे नियंत्रण में लाने के लिए जरूरी कदम उठाता है।

2022 में इनफ्लेशन बढ़ने पर केंद्रीय बैंक ने सख्त पॉलिसी अपनाई

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