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मैं अपने देश के लिए मरना चाहता हूं क्योंकि भारतीय भूखे मर रहे हैं: शहीद उधम सिंह

जिस उधम सिंह ने देश को आजाद और संपन्न बनाने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, उनका बचपन और जवानी भी संघर्षों में ही बीता था

Surendra Kishoreअपडेटेड Feb 22, 2024 पर 6:30 AM
मैं अपने देश के लिए मरना चाहता हूं क्योंकि भारतीय भूखे मर रहे हैं: शहीद उधम सिंह
उधम सिंह ने माइकल ओ डायर को इसलिए मारा क्योंकि उसने ब्रिगेडियर डायर के कुकृत्यों का समर्थन किया था

उधम सिंह ने पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर सर माइकल ओ डायर की लंदन में 13 मार्च, 1940 को हत्या कर दी थी। इस कसूर में उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया। यानी देश के लिए वे शहीद हो गये। उधम सिंह जालियांवाला बाग नर संहार के लिए ओ डायर को भी जिम्मेदार मानते थे। सन् 1919 में जालियांवाला बाग में अंग्रेज शासक ने निहत्थों पर अंधाधुध गोलियां बरसा कर सैकड़ों लोगों को मार डाला था। उस जन संहार दस्ते का नेतृत्व ब्रिगेडियर REH डायर कर रहा था। उधम सिंह ने माइकल ओ डायर को इसलिए मारा क्योंकि उसने ब्रिगेडियर डायर के कुकृत्यों का समर्थन किया था। याद रहे कि डायर और ओ डायर दो अलग-अलग व्यक्ति थे। कई लोग इस नाम को लेकर गलतफहमी में रहते हैं।

फांसी पर चढ़ने से पहले उधम सिंह ने कहा था कि "मैं अपने देश के लिए मरना चाहता हूं। ब्रिटिश राज में भारत के लोग भूखों मर रहे हैं।’ याद रहे कि ब्रिटिश शासकों ने यहां के संसाधनों को लूट कर ब्रिटेन को और भी अमीर बनाया था। आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटिश शासन काल में पूरी दुनिया की आय में भारत का हिस्सा घटा था और ब्रिटेन का हिस्सा बढ़ता चला गया था। स्वतंत्रता सेनानियों ने यह सपना पाला था कि आजादी के बाद देश एक बार फिर सोने की चिड़िया बनेगा। पर वह सपना पूरा नहीं हुआ। आज कहा जा रहा है कि भारत की गरीबी इसलिए भी दूर नहीं हो रही है क्योंकि सार्वजनिक संसाधनों को हमारे ही देश के कुछ हुक्मरानों ने आजादी के बाद से ही लूटना शुरू कर दिया था। वे अमीर बनते गये।

स्थिति यह है कि आज मोदी सरकार को 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देना पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी के शासन काल में सरकार में भ्रष्टाचार कम हुआ है। पर, दशकों से जिसे बिगाड़ दिया गया, उसे बनाने में समय लगेगा। ऐसे में शहीद उधम सिंह के बलिदान को एक बार फिर याद कर लेना मौजूं होगा। लंदन कोर्ट में उधम सिंह के खिलाफ सुनवाई सिर्फ दो दिनों में ही पूरी कर ली गई थी। उन्हें फांसी की सजा दे दी गई। 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया।

उनकी अस्थियां सन् 1974 में ही दिल्ली लाई जा सकीं। पर, ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि इस अस्थि यात्रा का कोई प्रचार नहीं हो। इसके बावजूद पालम हवाई अड्डे पर कांग्रेस अध्यक्ष डा. शंकर दयाल शर्मा , गृह मंत्री उमाशंकर दीक्षित, पंजाब के मुख्य मंत्री जैल सिंह, सूचना प्रसारण मंत्री इंदर कुमार गुजराल, पर्यटन मंत्री राज बहादुर, दिल्ली के मुख्य कार्यकारी पार्षद राधारमण सहित अनेक लोग उपस्थित थे। अस्थियां एक विशेष गाड़ी में कपूरथला हाउस लाई गईं। वहां प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने भी उस पर श्रद्धा के फूल चढ़ाये।

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