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Unemployment Data: बेरोजगारों की भीड़ में 83% युवा, पढ़े-लिखे लोगों पर अधिक पड़ी मार

Unemployment Data: इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) की इस इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक पढ़े-लिखे लोगों पर बेरोजगारी की मार अधिक पड़ी है। युवाओं की बात करें तो इस समय भारत में जितने बेरोजगार हैं, उनमें 83 फीसदी युवा हैं। रेगुलर रोजगार में गिरावट का रुझान बना हुआ है। कोरोना के बाद इनफॉर्मल रोजगार में इजाफा हुआ है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Mar 27, 2024 पर 2:24 PM
Unemployment Data:  बेरोजगारों की भीड़ में 83% युवा, पढ़े-लिखे लोगों पर अधिक पड़ी मार
Unemployment Data: पढ़े-लिखे युवाओं पर बेरोजगारी की मार अधिक पड़ी है। 2021 की जनसंख्या में युवाओं की हिस्सेदारी महज 27 फीसदी थी जो 2036 तक घटकर 23 फीसदी पर आने का अनुमान है।

Unemployment Data: भारतीय युवाओं में बेरोजगारी की समस्या कितनी भयावह है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि इस समय भारत में जितने बेरोजगार हैं, उनमें 83 फीसदी युवा हैं। इसके आंकड़े आज सामने आए हैं। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) की इस इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 को चीफ इकनॉमिक एडवाइजर वी अनंता नागेश्वरन ने 26 मार्च को जारी किया है। चिंता करने वाली बात ये है कि जिन युवाओं के कम से कम सेकंडरी एजुकेशन है, उनमें बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। 2000 में इनमें 35.2 फीसदी ही बेरोजगार थे लेकिन अब 2022 में यह आंकड़ा 65.7 फीसदी पर पहुंच गया। सेकंडरी एजुकेशन के बाद स्कूल छोड़ने की दर ऊंची बनी हुई है।

यह रुझान गरीब राज्यों और हाशिए पर रहने वाले लोगों में अधिक है। एक और अहम बात ये सामने आई है कि उच्च शिक्षा में बढ़ते नामांकन के बावजूद गुणवत्ता से जुडी चिंताएं बनी हुई हैं। सबसे खराब स्थिति यूपी, बिहार, ओडिशा, एमपी, झारखंड और छत्तीसगढ़ में स्थिति काफी खराब है। इन राज्यों में क्षेत्रीय नीतियों के चलते वर्षों से रोजगार की स्थिति काफी खराब है।

रेगुलर रोजगार में गिरावट का रुझान

स्टडी के मुताबिक लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR), वर्कर पॉपुलेशन रेश्यो (WPR) और बेरोजगारी दर (UR) 2000 से 2018 के बीच नीचे आई और 2019 के बाद ही इनमें सुधार के संकेत दिखे। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस सुधार को एकदम शब्दश: नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भी काफी किंतु-परंतु है। जैसे कि वेतन काफी हद तक स्थिर रहा है या उसमें गिरावट आई है। रेगुलर वर्कर्स और अपना कारोबार कर रहे लोगों के वेतन में 2019 के बाद गिरावट आई है। अनस्किल वर्कर्स का तो और बुरा हाल है और उनके एक बड़े हिस्से को 2022 में अनिवार्य न्यूनतम वेतन नहीं मिला।

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