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MS Swaminathan: हरित क्रांति के जनक और प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का निधन, 98 साल की आयु में ली आखिरी सांस

MS Swaminathan Passes Away: भारत के महान कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एम एस स्वामीनाथन का निधन हो गया है। वह 98 साल के थे। स्वामीनाथन ने आखिरी सांस गुरुवार सुबह चेन्नई में ली। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करें

Akhileshअपडेटेड Sep 28, 2023 पर 1:04 PM
MS Swaminathan: हरित क्रांति के जनक और प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का निधन, 98 साल की आयु में ली आखिरी सांस
MS Swaminathan Passes Away: स्वामीनाथन को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है

भारत के महान कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एम एस स्वामीनाथन (MS Swaminathan Passes Away) का निधन हो गया है। वह 98 साल के थे। स्वामीनाथन ने आखिरी सांस गुरुवार सुबह चेन्नई में ली। उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करें।

2004 में स्वामीनाथन को किसानों पर राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। इस आयोग को आत्महत्या के मामलों के बीच किसानों के संकट को देखने के लिए गठित किया गया था। आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और अपनी सिफारिशों में सुझाव दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) उत्पादन की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए।

कौन थे एम एस स्वामीनाथन?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा उन्हें "आर्थिक पारिस्थितिकी का जनक" कहा गया। 1987 में अंतराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआर) के महानिदेशक के रूप में स्वामीनाथन के नेतृत्व ने उन्हें पहला विश्व खाद्य पुरस्कार दिलाया। इस पुरस्कार को कृषि के क्षेत्र में नोबेल या सर्वोच्च पुरस्कार की तरह माना जाता है। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए 40 से अधिक पुरस्कार हालिस किए।

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