अब फेसबुक (Facebook) और ट्विटर (Twitter) जैसे दिग्गज प्लेटफॉर्म कंटेंट को रेगुलेट करने के नाम पर मनमानी नहीं कर सकेंगी। केंद्र सरकार ने इसे लेकर आज 28 अक्टूबर को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े कानून में संशोधन को नोटिफाई किया है। इसके तहत भारत सरकार ग्रीवांस कमेटियों ( Grievance Committees) नियुक्त करेगी।
इन कमेटियों का काम यूजर की शिकायतों का निपटारा करना होगा जो उन्होंने मेटा (Meta) और ट्विटर (Twitter) जैसे प्लेटफॉर्म पर कंटेंट मॉडरेट के फैसले के खिलाफ किया है। गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) एमेंडमेंट रूल्स, 2022 के ऐलान के दिन से तीन महीने के भीतर एक या एक से अधिक ग्रीवांस अपीलेट कमेटीज का गठन होगा।
ऐसे काम करेंगी ये कमेटियां
हर एक Grievance Appellate Committee (GAC) में एक चेयरमैन और दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार करेगा जिसमें से एक सदस्य एक्स-ऑफिसियो होगा। इसके अलावा कमेटी में दो स्वतंत्र निदेशक होंगे। नए अधिसूचित नियमों के मुताबिक अगर किसी यूजर को इंटरमीडियरी के खुद के ग्रीवांस ऑफिसर के फैसले से दिक्कत है तो वह इसकी शिकायत सरकार के ग्रीवांस अपीलेट कमेटी के पास 30 दिनों के भीतर कर सकता है।
जीएसी इस मुद्दे को 30 दिनों के भीतर सुलझाने की कोशिश करेगी और इसमें एक्सपर्ट्स की भी मदद ली जा सकती है। नोटिफिकेशन के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाएगा।
संशोधन की क्यों पड़ी जरूरत
जून में सरकार ने इसका ड्राफ्ट पहली बार विमर्श के लिए पेश किया था। तब सरकार ने कहा था कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें इंटरमीडियरीज के ग्रीवांस ऑफिसर ने शिकायतों का निपटारा संतोषजनक तरीके से नहीं किया। इस वजह से से सरकार ने GAC के गठन का फैसला किया।
एक से ज्यादा हो सकती हैं कमेटियां
हाल ही में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मनीकंट्रोल से कहा था कि ये कमेटियां डिजिटल तरीके से काम करेंगी। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि अगर दस हजार अपील आ गयी तो जाहिर सी बात है कि एक ही GAC से नहीं हो पाएगा यानी एक से अधिक GAC का गठन किया जाएगा।