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'विपक्ष हुड़दंगबाजी से संसद को कंट्रोल करने का प्रयास कर रहा': शीतकालीन सत्र से पहले बोले पीएम मोदी

Parliament Winter Session 2024: विपक्षी दलों ने केंद्र से अदाणी ग्रुप के खिलाफ अमेरिकी अभियोजकों के रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद में चर्चा कराने की मांग की है। वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि दोनों सदनों में उठाए जाने वाले मामलों पर संबंधित अध्यक्ष की सहमति से उनकी अधिकृत समितियां निर्णय लेंगी

Akhileshअपडेटेड Nov 25, 2024 पर 10:55 AM
'विपक्ष हुड़दंगबाजी से संसद को कंट्रोल करने का प्रयास कर रहा': शीतकालीन सत्र से पहले बोले पीएम मोदी
Parliament Winter Session 2024: संसद का शीतकालीन सत्र आज यानी 25 नवंबर से शुरू हो रहा है, जो 20 दिसंबर तक चलेगा

Parliament Winter Session 2024: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि 2024 का ये अंतिम कालखंड चल रहा है। देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा है। उन्होंने कहा कि संसद का ये सत्र अनेक प्रकार से विशेष है। सबसे बड़ी बात है हमारे संविधान के 75 साल की यात्रा, 75वें साल में उसका प्रवेश लोकतंत्र के लिए बहुत ही उज्ज्वल अवसर है। पीएम मोदी ने कहा कि कल संविधान सत्र में हम सब मिलकर संविधान के 75वें वर्ष के उत्सव की शुरुआत करेंगे। संसद का शीतकालीन सत्र आज यानी सोमवार (25 नवंबर) से शुरू हो रहा है। यह सेशन 20 दिसंबर तक चलेगा।

संसद भवन के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि शीतकालीन सत्र है और माहौल भी शीत ही रहेगा। 2024 का ये अंतिम कालखंड चल रहा है, देश उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान की महत्वपूर्ण इकाई हैं। संसद और हमारे सांसद। उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें।

इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोगअपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद को भी मुट्ठीभर लोगों की हुड़दंगबाजी से संसद को कंट्रोल करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनका अपना मकसद तो सफल नहीं होता, लेकिन देश की जनता उनके सारे व्यवहार देखती है और जब समय आता है तो उन्हें सजा भी देती है।

पीएम मोदी ने कहा कि पुरानी पीढ़ी का काम है आने वाली पीढ़ियों को तैयार करें। लेकिन 80-90 बार जिनको जनता ने नकार दिया है वे न संसद में चर्चा होने देते हैं न लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न वो लोगों के प्रति अपना दायित्व समझ पाते हैं। वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। जनता को उन्हें बार-बार नकारना पड़ रहा है।

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