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Ram Mandir: किसी बालक की तरह करते हैं भगवान राम की पूजा, क्या है रामानंदी संप्रदाय? राम मंदिर में इसी परंपरा से होगा पूजा-पाठ

Ram Mandir Inauguration: इस संप्रदाय के लोग खुद को भगवान के बेटे लव और कुश का वंशज मानते हैं। ये संप्रदाय राम की भक्ति करता है। उसका मूल मंत्र है ‘ओम रामाय नमः’। रामानंदी संप्रदाय के लोग मुख्य रूप से राम, सीता और हनुमान के साथ सीधे विष्णु और उनके दूसरे अवतारों की पूजा पर जोर देते हैं। आइए आज इसी रामानंदी संप्रदाय के बारे में और भी ज्यादा गहराई से जानने की कोशिश करते हैं

Shubham Sharmaअपडेटेड Jan 12, 2024 पर 1:18 AM
Ram Mandir: किसी बालक की तरह करते हैं भगवान राम की पूजा, क्या है रामानंदी संप्रदाय? राम मंदिर में इसी परंपरा से होगा पूजा-पाठ
Ram Mandir: किसी बालक की तरह करते हैं भगवान राम की पूजा, क्या है रामानंदी संप्रदाय? राम मंदिर में इसी परंपरा से होगा पूजा-पाठ

Ram Mandir Inauguration: जैसे-जैसे अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा समारोह नजदीक आ रहा है, भक्तों के बीच उत्साह भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। 22 जनवरी को होने वाले भव्य कार्यक्रम में देश भर के राजनेताओं, मशहूर हस्तियों और गणमान्य व्यक्तियों की भारी भीड़ जुटने की उम्मीद है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया था राम का मंदिर रामानंदी परंपरा का है, ये न शैव, शाक्त का और न ही संन्यासियों का... राम मंदिर के प्रबंधन के केंद्र में भी रामानंदी संप्रदाय (Ramanandi Sampradaya) है, जो वैष्णवों का सबसे बड़ा संप्रदाय है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम से अपने गहरे संबंध के लिए जाना जाता है।

इस संप्रदाय के लोग खुद को भगवान के बेटे लव और कुश का वंशज मानते हैं। ये संप्रदाय राम की भक्ति करता है। उसका मूल मंत्र है ‘ओम रामाय नमः’। रामानंदी संप्रदाय के लोग मुख्य रूप से राम, सीता और हनुमान के साथ सीधे विष्णु और उनके दूसरे अवतारों की पूजा पर जोर देते हैं। आइए आज इसी रामानंदी संप्रदाय के बारे में और भी ज्यादा गहराई से जानने की कोशिश करते हैं।

किसने और कैसे की रामानंदी संप्रदाय की शुरुआत?

रामानंदी संप्रदाय की जड़ें स्वामी रामानंदी से जुड़ी हैं, जिन्हें सम्मानपूर्वक स्वामी जगतगुरु श्री रामानंदाचार्य के नाम से संबोधित किया जाता है। मध्ययुगीन भारत में भक्ति आंदोलन के अग्रणी, उन्होंने वैष्णव बैरागी संप्रदाय की स्थापना की, जिसका मकसद समाज में जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करना था।

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