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Indian Railways Facts: सिर्फ एक तार पर चलती है ट्रेन, आखिर यह घिसती क्यों नहीं?

Indian Railways Facts: ट्रेन के जरिए रोजाना लाखों यात्री आते-जाते हैं। आपने देखा होगा कि बिजली से चलने वाली ट्रेन के ऊपर एक ओवरहेड वायर यानी तार लगा होता है। इससे ट्रेन के इंजन के ऊपर लगा पेंटोग्राफ लगातार चिपका होता है। इसी के जरिए ट्रेन चलती है। क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी बड़ी ट्रेन सिर्फ एक तार से कैसे चलती है

Edited By: Jitendra Singhअपडेटेड Sep 26, 2023 पर 2:35 PM
Indian Railways Facts: सिर्फ एक तार पर चलती है ट्रेन, आखिर यह घिसती क्यों नहीं?
Indian Railways Facts: डीजल लोकोमोटिव में बिजली इंजन के अंदर की बनाई जाती है। जबकि इलेक्ट्रिक इंजन को बिजली ओवरहेड वायर से मिलती है।

Indian Railways Facts: भारतीय रेलवे में अब अधिकतर ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन के सहारे चल रही हैं। ट्रेनों की रफ्तार भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है। आप में से शायद काफी लोग इस बात को जानते भी होंगे कि अभी भारत में इलेक्ट्रिक और डीजल इंजन दोनों चलते हैं। यानी की सभी लोकोमोटिव मशीन हैं, जो कि ट्रेनों को खींचने का काम करती हैं। इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव आने के बाद मौजूदा समय में डीजल और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव दोनों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इलेक्ट्रिक इंजन आखिर एक ही तार से कैसे चलता रहता है। यह तार कभी घिसता क्यों नहीं। जबकि इस तार के जरिए ट्रेनें हजारों किलोमीटर चलती रहती हैं।

यह सिद्धांत तो हर कोई जानता है कि जब भी दो चीजों के बीच घर्षण होता है तो नाजुक चीज बेहद तेजी से घिसती । यही फॉर्मूला यहां भी अप्लाई होता है। बिजली के तार और इंजन के लगे पेंटोग्राफ के बीच एक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जब ट्रेनें तेज रफ्तार से चलती है तो इसका दबाव इंजन के ऊपर लगे बिजली के तार पर नहीं पड़ता है।

आखिर तार क्यों नहीं घिसता है

पटरियों के ऊपर जो बिजली की तार लगाई जाती है। वह ताकतवर कॉपर से बनी होती है। इंजन का पेंटोग्राफ का ऊपरी सिरा इसी तार से चिपका रहता है। वह बहुत ही मुलायम लोहे का बना होता है। जब ओवरहेड तार और पेंटोग्राफ के बीच घिसाव होता है तो बिजली का तार नहीं बल्कि पेंटोग्राफ तेजी से घिसता है। वहीं जब ट्रेनें तेज रफ्तार से चलती है तो इसका दबाव इंजन के ऊपर लगे बिजली के तार पर नहीं पड़ता है। बल्कि इंजन में लगे पेंटोग्राफ पर पड़ता है। ओवर हेड वायर (OHE) को ऐसे दौड़ाया जाता है कि पेंटोग्राफ एक ही जगह पर नहीं घिसे। यही कारण है कि इंजन में लगे पेंटोग्राफ धीरे धीरे घिसता है जिसे चार महीने में बदल दिया जाता है।

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