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Naga Sadhu: नागा बाबा कैसे बनते हैं? रात 2 बजे शुरू होती है कठिन दीक्षा, जानिए तपस्या का राज

Mahakumbh 2025 Naga Sadhu: सनातन धर्म में साधू-संतों का काफी महत्व होता है। साधू-संत भौतिक सुखों का त्याग कर सत्य और धर्म के रास्ते पर निकल जाते हैं। इसके साथ ही उनकी वेशभूषा और खान-पान आम लोगों से बिल्कुल अलग होती है। ऐसे ही नागा बाबा भी होते हैं, जो कपड़े नहीं पहनते हैं। नागा बाबा बनना आसान नहीं है। इनकी दीक्षा बेहद कठोर होती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 15, 2025 पर 3:51 PM
Naga Sadhu: नागा बाबा कैसे बनते हैं? रात 2 बजे शुरू होती है कठिन दीक्षा, जानिए तपस्या का राज
Mahakumbh 2025 Naga Sadhu: नागा साधु बनने की 48 घंटे वाली दीक्षा रात 2 बजे दी जाती है। इसके बाद वो अपने मन को काबू कर सकते हैं।

महाकुंभ एक ऐसा जमघट है, जो हिंदू धर्म और लोगों की आस्था का प्रतीक है। महाकुंभ में नागा साधुओं का स्नान सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है। हर बार नागा साधु महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बनते हैं। पहला शादी स्नान का अधिकार भी नागा साधुओं को ही दिया गया है। इस बीच महाकुंभ मेले में नागा साधुओं की काफी चर्चा हो रही है। आम लोगों में नागा साधुओं को लेकर तरह-तरह की धारणा है। आम आदमी नागा साधु कैसे बनता है, इसके पीछे कितनी कठिन तपस्या से उसको गुजरना पड़ता है, शायद लोग यह बात नहीं जानते होंगे। इस कठिन परीक्षा के दौरान उसके ऊपर पूरी निगाह रखी जाती है।

नागा बनने के लिए परीक्षा के दौरान ही उसको स्वयं का पिंडदान और तर्पण यानी खुद का क्रिया-कर्म तक करना पड़ता है। इसकी वजह ये है कि इससे उसके मन में वैराग्य उत्पन्न होता है। इसके बाद सभी परीक्षाओं में पास होने के बाद ही उसको नागा साधु बनाया जाता है। इसलिए किसी के लिए भी नागा बनना आसान काम नहीं है।

नागा बनने के लिए सबसे पहले होती है ब्रह्मचर्य की परीक्षा

जब भी कोई व्यक्ति किसी अखाड़े में साधु बनने जाता है तो कभी भी उसे सीधे अखाड़े में शामिल नहीं किया जाता। जिस अखाड़े में वो शामिल होने जाता है उस अखाड़े के लोग उसके बारे में अपने स्तर पर पूरी जानकारी एकत्र करते हैं। मसलन, वह किस परिवार से ताल्लुक रखता है, उसकी पारिवारिक स्थिति कैसी है। वह साधु क्यों बनना चाहता है और क्या वह साधु बनने लायक है कि नहीं। यदि सब कुछ ठीक होता है तो फिर शुरू होता है उसकी परीक्षा का दौर शुरू होता है। सबसे पहले उसे अखाड़े में दाखिल होने के बाद उसकी ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। जिसमें कम से कम 6 महीने और ज्यादा से ज्यादा 12 साल लग जाते हैं। जब उस अखाड़े का मुखिया पूरी तरह से संतुष्ट हो जाता है और इस बात का पूरी तरह से ज्ञान हो जाता है कि वह व्यक्ति वासना और इच्छाओं से मुक्त हो चुका है तभी उसको अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है।

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