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इन IPOs में मिलता है ज्यादा रिटर्न! 5 सालों में आए 218 IPOs की पड़ताल से सामने आया डेटा

मनीकंट्रोल ने पिछले 5 फाइनेंशियल ईयर में आए कुल 218 आईपीओ की स्टडी की है। इसमें सिर्फ उन आईपीओ को ही शामिल किया गया है, जिनकी लिस्टिंग को कम से कम 12 महीने या उससे अधिक समय हो चुका है। पीई फर्मों के निवेश वाली कंपनी उनको माना गया है, जिनमें पीई फर्मों, वेंचर कैपिटल निवेशकों या प्री-आईपीओ निवेशकों की हिस्सेदारी 10 पर्सेंट या उससे ज्यादा है

Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Jul 01, 2025 पर 7:32 PM
इन IPOs में मिलता है ज्यादा रिटर्न! 5 सालों में आए 218 IPOs की पड़ताल से सामने आया डेटा
बिना-PE फर्मों के निवेश वाले IPO ने लिस्टिंग के दिन औसतन 32.86 फीसदी का रिटर्न दिया है।

IPO Returns: शेयर बाजार में इन दिनों IPOs की भरमार है। हर दिन कोई न कोई आईपीओ या तो मार्केट में लॉन्च हो रहा है और या उसकी स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग हो रही है। अगर आप भी IPO मार्केट पर नजर रखते हैं, तो हम आपके लिए आज एक दिलचस्प लेकिन जरूरी जानकारी लेकर आए हैं। अगर आप भी IPO मार्केट पर नजर रखते हैं, तो हम आपके लिए आज एक दिलचस्प लेकिन जरूरी जानकारी लेकर आए हैं। मनीकंट्रोल ने पिछले 5 सालों में यानी वित्त वर्ष 2020 से लेकर वित्त वर्ष 2025 तक में आए कुल 218 आईपीओ की एक स्टडी की है। इस स्टडी से जो जानकारी मिली है, वो काफी हैरानी वाली है।

स्टडी से पता चलता है कि जिन आईपीओ के साथ बड़े प्राइवेट इक्विटी फर्म, वेंचर कैपिटल फर्म या बड़े निवेशकों के नाम जुड़े हैं, उनके मुकाबले बिना प्राइवेट इक्विटी फर्मों के निवेश वाली यानी सिर्फ प्रमोटर के दम पर चलने वाली कंपनियों ने अपने IPO निवेशकों को औसतन ज्यादा अच्छा रिटर्न दिया है। फिर चाहे लिस्टिंग डे की हो या लिस्टिंग के बाद अगले एक साल के प्रदर्शन की। दोनों ही सूरत ही प्रमोटर के दम पर चलने वाली कंपनियों का प्रदर्शन अधिक अच्छा रहा है।

मनीकंट्रोल ने पिछले 5 फाइनेंशियल ईयर में आए कुल 218 आईपीओ की स्टडी की है। इसमें सिर्फ उन आईपीओ को ही शामिल किया गया है, जिनकी लिस्टिंग को कम से कम 12 महीने या उससे अधिक समय हो चुका है। पीई फर्मों के निवेश वाली कंपनी उनको माना गया है, जिनमें पीई फर्मों, वेंचर कैपिटल निवेशकों या प्री-आईपीओ निवेशकों की हिस्सेदारी 10 पर्सेंट या उससे ज्यादा है।

इन IPO की पड़ताल करने से पता चलता है पीई फर्मों के निवेश वाले आईपीओ ने अपने लिस्टिंग के दिन औसतन 21.48 फीसदी का रिटर्न दिया है। वहीं बिना-पीई फर्मों के निवेश वाली कंपनियों ने औसतन 32.86 फीसदी का रिटर्न दिया है।

लिस्टिंग के बाद अगले 12 महीने में यह फासला और भी अधिक बढ़ जाता है। लिस्टिंग के अगले 12 महीने में पीई-फर्मों के निवेश वाली कंपनियों का औसत रिटर्न जहां 50.24 रहा है। वहीं बिना-पीई के निवेश वाली यानी प्रमोटर के दम पर चलने वाली कंपनियों का औसत रिटर्न इस दौरान 75.32% रहा है।

अगर हम औसत आंकड़े को हटा दें और केवल पॉजिटिव रिटर्न की बात करें, तो भी बिना-पीई फर्मों वाली कंपनियों ने ही बाजी मारी है। बिना-पीई फर्मों के निवेश वाले लगभग 76% आईपीओ ने अपने लिस्टिंग के दिन निवेशकों को मुनाफा कराया है। वहीं पीई-फर्मों के निवेश वाली कंपनियों के लिए यह आंकड़ा सिर्फ 71 पर्सेंट है। 12 महीने की अवधि में, करीब 74 फीसदी बिना-पीई फर्मों वाले आईपीओ ने पॉजिटिव दिया है। वहीं पीई फर्मों के निवेश वाले आईपीओ के लिए ये आंकड़ा 70 फीसदी है।

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