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लोकसभा नतीजों के बाद BJP और संघ के रिश्ते में नहीं आएगा कोई बदलाव

लोकसभा चुनावों के नतीजों से साफ हो गया है कि BJP अपने दम पर सरकार नहीं बना पाएगी। लेकिन, लागातार 10 साल सत्ता में रहने वाली पार्टी का सबसे ज्यादा सीटें हासिल करना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। लेकिन, बीजेपी ने खुद इतने ऊंचे मानदंड स्थापित किए हैं, जिससे थोड़ा भी दूर रह जाने को असफलता के रूप में देखा जाता है

Arun Anandअपडेटेड Jun 04, 2024 पर 5:53 PM
लोकसभा नतीजों के बाद BJP और संघ के रिश्ते में नहीं आएगा कोई बदलाव
जब कभी बीजेपी किसी मुश्किल में होती है, यह चर्चा शुरू हो जाती है कि संघ और पार्टी नेतृत्व के बीच खींचतान चल रही है।

लोकसभा के नतीजों के अब तक जो ट्रेंड आए हैं, उसके मुताबिक बीजेपी के लिए नतीजे मिलेजुले हैं। बीजेपी का प्रदर्शन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों जैसा नहीं है। हालांकि, कुछ राज्यों में इसका प्रदर्शन अच्छा रहा है। पार्टी ने दक्षिण के राज्यों में भी सेंध लगाई है। बीजेपी इससे पहले इससे मुश्किल वक्त का सामना कर चुकी है और इससे निकलने में सफल रही है। स्थिति उतनी खराब नहीं है, जितनी लग रही है। दरअसल, बीजेपी ने खुद अपने लिए इतने ऊंचे मानदंड तय किए हैं, जिससे थोड़ा भी दूर रह जाने पर कई लोग उसे असफलता के रूप में देखते हैं, जो सही नहीं है।

सबसे ज्यादा सीटें हासिल करना बड़ी उपलब्धि

यह बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है कि लगातार 10 साल के शसन के बाद भी बीजेपी के सीटों की संख्या दूसरे सबसे बड़ी पार्टी की सीटों के मुकाबले करीब ढाई गुनी है। बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रही है। पार्टी खोई हुई जमीन आसानी से हासिल कर सकती है। लेकिन, इसके लिए पार्टी को अपने संगठन के ढांचे पर ध्यान देना होगा। बीजेपी को बाहर से आए लोगों और अपने कार्यकर्ताओं के बीच संतुलन बैठाना होगा। यह फैक्टर कई सीटों पर पार्टी को नुकसान पहुंचाता दिख रहा है।

संघ के साथ रिश्ते में नहीं आएगा बदलाव

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