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Loksabha Chunav 2024: कहां खो गए वो 2009 वाले वरुण गांधी? वोट यात्रा में जानें पीलीभीत की जनता के मन की बात

Loksabha Chunav 2024: मेनका गांधी को यह क्षेत्र इसीलिए प्रिय लगता रहा, क्योंकि सिखों का समर्थक उन्हें हासिल रहा। 1989 में जब वीपी सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर जनता दल बनाई, तो मेनका गांधी यहां से चुनाव लड़ने आईं और वह जीत गईं। साफ है कि 2024 के चुनाव में यहां पर गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं दिखेगा और यह 35 साल में पहली बार हो रहा है

Brijesh Shuklaअपडेटेड Apr 02, 2024 पर 6:15 AM
Loksabha Chunav 2024: कहां खो गए वो 2009 वाले वरुण गांधी? वोट यात्रा में जानें पीलीभीत की जनता के मन की बात
Loksabha Chunav 2024: इस बार पीलीभीत में लोकसभा चुनाव वरुण गांधी और मेनका गांधी के बिना ही लड़ा जा रहा है

Loksabha Chunav 2024: गांधी परिवार यानी मेनका गांधी (Maneka Gandhi) और वरुण गांधी (Varun Gandhi) का मजबूत किला पीलीभीत (Pilibhit), लेकिन इस चुनाव में यहां पर न मेनका के दर्शन हो रहे हैं और न ही वरुण के। पिछले दो साल से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाने वाले वरुण गांधी को इस बार BJP नेतृत्व ने टिकट नहीं दिया। बहुत चर्चाएं थीं कि वरुण गांधी बगावत करके पीलीभीत से ही चुनाव लड़ेंगे और संपूर्ण I.N.D.I.A. गठबंधन उनकी मदद में खड़ा हो जाएगा। विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन उनकी मदद करता न करता यह अलग विषय है, लेकिन खुद वरुण ने अपने कदम वापस पीछे खींच लिए हैं और पीलीभीत के मतदाताओं के नाम एक भावुक पत्र लिखकर इस चुनाव के लिए पीलीभीत से वह विदा हो गए।

समाजवादी पार्टी अंतिम समय तक वरुण गांधी (Varun Gandhi) का इंतजार करती रही कि शायद वह चुनाव लड़ें और सपा इस बात के लिए तैयार भी थी कि वह पीलीभीत से वरुण गांधी को चुनाव लड़वाएगी। साफ है कि 2024 के चुनाव में यहां पर गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं दिखेगा और यह 35 साल में पहली बार हो रहा है।

इस चुनाव की यही विडंबना है

रतीय जनता पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद मैदान में हैं। समाजवादी पार्टी की ओर से भागवत सरन गंगवार चुनाव लड़ रहे हैं और BSP ने यहां पर एक ऐसे प्रत्याशी को उतार दिया है, जो सपा की नींद उड़ाए हुए हैं। वह है अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू। फूल बाबू कई बार क्षेत्र से विधायक रहे। आम लोगों में उनकी मजबूत पकड़ है। मुसलमान मतदाताओं का समर्थन उन्हे मिलता रहा है, लेकिन वह BSP के टिकट पर कितना अच्छा लड़ पाएंगे यह कहना अभी कठिन है।

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