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UP Loksabha Chunav: यादवों के गढ़ में झटके न खा जाए अखिलेश की साइकिल! मोदी फैक्टर बन सकता है बड़ी रुकावट

UP Lok sabha Election 2024: मणिपुरी पर पिछले तीन दशकों से लगातार सपा का कब्जा रहा है और यादव यहां सबसे बड़ा वोट-ब्लॉक हैं। लेकिन बकी जगहों पर सपा के लिए स्थिति इतनी आरामदायक नहीं है - वे 2019 के चुनावों में कन्नौज, फिरोजाबाद, बदांयू, इटावा और फरुखाबाद भी हार गए

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 28, 2024 पर 3:32 PM
UP Loksabha Chunav: यादवों के गढ़ में झटके न खा जाए अखिलेश की साइकिल! मोदी फैक्टर बन सकता है बड़ी रुकावट
UP Loksabha Chunav: यादवों के गढ़ में झटके न खा जाए अखिलेश साइकिल!

"हां, यहां की राजनीति में यादवों का दबदबा है...लेकिन अब सभी समाजवादी पार्टी के साथ नहीं हैं। कानून और व्यवस्था महत्वपूर्ण है, गुंडागर्दी वापस नहीं चाहिए। इस चुनाव में एकमात्र फैक्टर नरेंद्र मोदी हैं।" ऐसा ग्रामीण मणिपुरी गांव के लोगों के एक समूह का कहना है, जिनमें से कुछ यादव समुदाय से हैं। उत्तर प्रदेश के यादव बेल्ट में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अगर यात्रा करेंगे- फिरोजाबाद से मणिपुरी, इटावा और फर्रुखाबाद, और बदांयू से कन्नौज तक, तो एक बात साफ है। समाजवादी पार्टी भले ही अखिलेश यादव और डिंपल यादव के नेतृत्व में चुनावी मैदान में अपनी दिग्गज चेहरों के साथ मैदान में है, लेकिन कानून-व्यवस्था पर अपने प्रदर्शन को देखते हुए बीजेपी इस खेल में मजबूती से बनी हुई है, जिसे कुछ यादव भी इसमें एक बड़ा कारक मानते हैं। यहां भी भारी फैक्टर नरेंद्र मोदी ही हैं।

News18 ने दो दिनों तक पूरे क्षेत्र में यात्रा की और अलग-अलग वर्गों के लोगों से बात की, जिन्होंने सपा को यादवों के वर्चस्व वाले क्षेत्र की आधा दर्जन सीटों में से केवल मैनपुरी जीतने का "100% मौका" दिया।

अखिलेश के चुनावी मैदान में आने क्या फर्क पड़ा?

मणिपुरी पर पिछले तीन दशकों से लगातार सपा का कब्जा रहा है और यादव यहां सबसे बड़ा वोट-ब्लॉक हैं। लेकिन बकी जगहों पर सपा के लिए स्थिति इतनी आरामदायक नहीं है - वे 2019 के चुनावों में कन्नौज, फिरोजाबाद, बदांयू, इटावा और फरुखाबाद भी हार गए।

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