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Daily Voice: बजाज फिनसर्व AMC के निमेश चंदन को इन सेक्टरों में दिखती है मल्टी-ईयर ग्रोथ की संभावना

Experts view : दूसरे सेक्टरों के अलावा, निमेश चंदन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कंपनियों, पावर इंफ्रा और रियल एस्टेट सेक्टर पर भी बुलिश हैं। निमेश चंदन बजाज फिनसर्व एसेट मैनेजमेंट में सीआईओ हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 26, 2024 पर 12:14 PM
Daily Voice: बजाज फिनसर्व AMC के निमेश चंदन को इन सेक्टरों में दिखती है मल्टी-ईयर ग्रोथ की संभावना
निमेश ने कहा कि भारतीय ऑटो सेक्टर, खास तौर पर OEMs काफी हद तक डोमेस्टिक स्टोरी हैं। घरेलू ऑटो की मांग में निकट भविष्य में सुस्ती की संभावना है

बजाज फिनसर्व एसेट मैनेजमेंट कंपनी के निमेश चंदन फार्मा सेक्टर पर बुलिश हैं। हालांकि फार्मा इंडेक्स ने इस तिमाही में अच्छी बढ़त हासिल की है, लेकिन उनका मानना ​​है कि फार्मा, हॉस्पिटल, डायग्नोस्टिक्स और CRAMS कई सालों तक ग्रोथ के अवसर प्रदान करते रहेंगे। इसके अलावा निमेंश ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म कंपनियों, पावर इंफ्रा और रियल एस्टेट सेक्टर पर भी बुलिश हैं। उन्होंने आईटी पर भी अपना अंडरवेट कम कर दिया है।

निमेश ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि 1 फरवरी, 2025 को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में,वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के कमजोर जीडीपी ग्रोथ आंकड़ों के बाद,सरकार द्वारा आर्थिक विकास के लिए अगले 3-4 सालों के लिए एक योजना लाने की संभावना बढ़ गई है। उन्होने आगे कहा कि सरकारी खर्च में बढ़त से खपत और कैपेक्स दोनों में तेजी आएगी। यह कैपिटल मार्केट के लिए एक अच्छा संकेत है।

भारतीय बाजार में विदेशी निवेश पर बात करते हुए निमेश ने कहा कि भारतीय इक्विटी में एफपीआई की होल्डिंग कई सालों के निचले स्तर पर है, इसलिए अगले साल बहुत ज्यादा एफपीआई निकासी की उम्मीद नहीं है। हालांकि, यूएसए (हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों के बाद) और चीन (प्रोत्साहन घोषणाओं के बाद) में आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ, इस बात की संभावना है कि कुछ ग्लोबल फंड भारत से आवंटन कम करके इन दो बाजारों में निवेश करेंगे। हालांकि, लॉन्ग टर्म नजरिए से भारत अपनी बेहतर विकास संभावनाओ और डेमोग्रॉफी के कारण एक आकर्षक निवेश बाजार बना हुआ है। किसी भी एफपीआई के लिए भारत को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होगा।

ग्लोबल मार्केट पर बात करते हुए निमेश ने कहा कि अमेरिका में ग्रोथ में तेजी और चीन में प्रोत्साहन उपायों की घोषणा के साथ, ग्लोबल ग्रोथ की संभावना अच्छी दिख रही है। हालांकि, कई चुनौतियां भी बनी हुई हैं। अमेरिकी लीडरशिप में बदलाव से टैरिफ वॉर बढ़ सकता है। इससे ट्रेंडिग मोमेंटम बाधित हो सकता है। इस तरह के घटनाक्रम से मुद्रा में अस्थिरता भी बढ़ सकती है,जिसका वैश्विक वित्तीय बाजारों पर असर पड़ सकता है। हालांकि ओवरऑल सेंटीमेंट बुलिश है। लेकि भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं और ट्रेड वॉर तनाव पैदा कर सकते हैं।

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