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ऑलटाइम हाई से 97.5% टूटा शेयर, 20 दिनों से लगातार लग रहा लोअर सर्किट, अब आई एक और बुरी खबर

Gensol Engineering Shares: जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों का गिरना गुरुवार 8 मई को भी जारी रहा। कारोबार शुरू होते ही कंपनी के शेयरों में 5 फीसदी का लोअर सर्किट लगा और यह लुढ़ककर 60.45 रुपये के भाव पर पहुंच गया। यह इसके साथ ही यह लगातार 20वां दिन है, जब कंपनी के शेयरों ने अपनी लोअर सर्किट सीमा को छुआ है। गुरुवार की गिरावट सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के उस फैसले के बाद आई है

Curated By: Vikrant singhअपडेटेड May 08, 2025 पर 1:21 PM
ऑलटाइम हाई से 97.5% टूटा शेयर, 20 दिनों से लगातार लग रहा लोअर सर्किट, अब आई एक और बुरी खबर
Gensol Engineering Shares: जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में पिछले एक महीने में 59% से अधिक की गिरावट आ चुकी है

Gensol Engineering Shares: जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों का गिरना गुरुवार 8 मई को भी जारी रहा। कारोबार शुरू होते ही कंपनी के शेयरों में 5 फीसदी का लोअर सर्किट लगा और यह लुढ़ककर 60.45 रुपये के भाव पर पहुंच गया। यह इसके साथ ही यह लगातार 20वां दिन है, जब कंपनी के शेयरों ने अपनी लोअर सर्किट सीमा को छुआ है। गुरुवार की गिरावट सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के उस फैसले के बाद आई है, जिसमें कंपनी को उसके खिलाफ चल रही जांच के मामले में कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार किया गया है। बता दें कि जेनसोल इंजीनियरिंग कथित फंड डायवर्जन के मामले में जांच के दायरे में है।

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इस फंड डायवर्जन मामले में 15 अप्रैल को कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में जेनसोल इंजीनियिरंग और उसके प्रमोटरोंको सिक्योरिटी मार्केट से बैन कर दिया था। SEBI ने कंपनी पर गंभीर चूक का आरोप लगाया है, जिसमें फंड डायवर्जन, फर्जी डॉक्यूमेंट पेश करना और निवेशकों के फंड का दुरुपयोग शामिल है।

कंपनी ने सेबी के इस आदेश को SAT में चुनौती दी, लेकिन बुधवार को SAT ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। जेनसोल इंजीनियरिंग ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि सेबी ने कंपनी का सुनवाई का मौका दिए बिना ही आदेश जारी किया, जिससे कंपनी की कारोबारी गतिविधियों में गंभीर रुकावटें पैदा हो गई है।

कंपनी ने दावा किया कि उसके डीमैट खाते पर लगाई गई रोक और फॉरेंसिक ऑडिट कराए जाने के फैसले के चलते उसके कई कॉन्ट्रैक्ट्स रद्द हो गए हैं। साथ ही उसके सपंत्तियों के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) में बदल जाने का जोखिम बढ़ गया है।

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