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SEBI के प्रस्ताव पर HDFC AMC समेत अन्य एएमसी कंपनियों के शेयर धड़ाम, एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह

AMC Stocks: सेबी के प्रस्तावों पर एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के शेयर आज धड़ाम से गिर गए। बिकवाली की आंधी में ये 8% तक टूट गए। जानिए कि सेबी ने क्या प्रस्ताव पेश किया है और इसकी किन बातों पर एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को झटका लगा है। ब्रोकरेज फर्मों का इस पर रुझान क्या है और यह झटका कितने समय तक रह सकता है?

Edited By: Jeevan Deep Vishawakarmaअपडेटेड Oct 29, 2025 पर 12:05 PM
SEBI के प्रस्ताव पर HDFC AMC समेत अन्य एएमसी कंपनियों के शेयर धड़ाम, एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह
सेबी के प्रस्तावों पर एचडीएफसी एएमसी और निप्पन इंडियन एएमसी शुरुआती कारोबार में ही 6% तक टूट गए। नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट के शेयर 8% से अधिक तो कैम्स के शेयर 7% तक फिसल गए। मोतीलाल ओसवाल भी 5% से अधिक तो यूटीआई और आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी 2-3% तक टूट गया।

बाजार नियामक सेबी के प्रस्ताव पर एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (HDFC Asset Management Company), आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी (Aditya Birla Sun Life AMC), यूटीआई एएमसी (UTI AMC), निप्पन इंडिया एएमसी (Nippon India AMC) और श्रीराम एएमसी (Shriram AMC) जैसी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के शेयर 8% तक टूट गए। सेबी ने एक्सपेंस रेश्यो और ब्रोकरेज फीस जैसे चार्जेज में बदलाव का प्रस्ताव रखा है जो म्यूचुअल फंड्स चार्ज करती हैं। सेबी के प्रस्तावों पर एचडीएफसी एएमसी और निप्पन इंडियन एएमसी शुरुआती कारोबार में ही 6% तक टूट गए। नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट के शेयर 8% से अधिक तो कैम्स के शेयर 7% तक फिसल गए। मोतीलाल ओसवाल भी 5% से अधिक तो यूटीआई और आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी 2-3% तक टूट गया।

क्या है सेबी का प्रस्ताव जिससे AMC Stocks को लगा शॉक?

सेबी ने म्यूचुअल फंड्स के एक्सपेंस रेश्यो को कम करने का प्रस्ताव पेश किया है। यह किसी फंड या ईटीएफ को मैनेज करने का चार्ज है और इसे फंड के एयूएम (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) के पर्सेंटेज के रूप में देखा जाता है। एक्सपेंस रेश्यो के कम होने का मतलब है कि निवेशक का अधिक पैसा निवेश होगा जबकि इसके अधिक होने का मतलब है कि फंड मैनेज करने का खर्च अधिक है। इससे रिटर्न पर असर पड़ता है। इसके अलावा सेबी ने कैश मार्केट ट्रांजैक्शंस के लिए म्यूचुअल फंड्स की तरफ से दी जाने वाली ब्रोकरेज फीस की अधिकतम सीमा को 12 बेसिस प्वाइंट्स से घटाकर 2 बेसिस प्वाइंट्स करने का प्रस्ताव है। डेरिवेटिव ट्रांजैक्शंस को लेकर इसका कैप पांच बेसिस प्वाइंट्स से घटाकर एक बेसिस प्वाइंट्स करने का प्रस्ताव है।

एसटीटी (सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स) और जीएसटी जैसी स्टैटुअरी लेवीज को स्टॉम्प ड्यूटी के साथ टोटल एक्सपेंसेज की लिमिट से बाहर रखा जाएगा। इसके अलावा सेबी ने म्यूचुअल फंड्स के लिए परफॉरमेंस-लिंक्ड एक्सपेंस रेश्यो का प्रस्ताव भी पेश किया है। इसके अलावा सेबी ने पूरे एयूएम पर 5 बेसिस प्वाइंट्स के अतिरिक्त खर्च को हटाने की भी प्रस्ताव रखा है।

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