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बीते एक साल में काफी खराब प्रदर्शन की वजह से क्या इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव हो गई है?

खराब प्रदर्शन के बावजूद इंडियन मार्केट्स दुनिया में दूसरे सबसे महंगे बाजार हैं। बीते 12 महीनों में MSCI इंडिया इंडेक्स में डॉलर में 11 फीसदी गिरावट आई है। इसके मुकाबले MSCI Emerging Markets Index का रिटर्न 14 फीसदी रहा है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Sep 04, 2025 पर 10:56 PM
बीते एक साल में काफी खराब प्रदर्शन की वजह से क्या इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव हो गई है?
बीते एक साल में ग्लोबल मार्केट का कैपिटलाइजेशन 17.5 फीसदी बढ़ा है। लेकिन, इस दौरान इंडियन मार्केट्स का कैपिटलाइजेशन 9.3 फीसदी घटा है।

बीते एक साल में इंडियन मार्केट्स का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। रिटर्न के मामले में यह दुनिया के बड़े बाजार से पिछड़ गया है। डॉलर और लोकल करेंसी दोनों में इसका प्रदर्शन कमजोर रहा है। कंपनियों की कमजोर प्रॉफिट ग्रोथ, जियोपॉलिटिकल टेंशन और ट्रंप के टैरिफ इसकी वजह हो सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट 'बुल्स एंड बेयर्स' में कहा है कि डॉलर में इंडियन मार्केट्स ने कोई रिटर्न नहीं दिया है। हालांकि, इस कैलेंडर ईयर में लोकल करेंसी यानी रुपये में रिटर्न तीन फीसदी रहा है।

निफ्टी अपने लॉन्ग टर्म एवरेज के करीब पहुंच रहा

सवाल है कि क्या इस खराब प्रदर्शन के बाद Indian Markets की वैल्यूएशन कम हो गई है और अब फॉरेन इनवेस्टर्स की दिलचस्पी इंडिया में निवेश करने में बढ़ेगी? रिपोर्ट की मानें तो इंडियन मार्केट्स अभी अपने निचले स्तर के करीब नहीं पहुंचा है। हां यह सही है कि यह अपने लॉन्ग टर्म एवरेज के करीब बढ़ रहा है। अगर Nifty की बात करें तो इसमें 12 महीने के फॉरवर्ड पीई रेशियो के 20.6 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह इसके 20.7 गुना के लॉन्ग टर्म एवरेज के करीब है।

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