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Stocks: मोतीलाल ओसवाल ने 2024 के लिए बताए अपने पसंदीदा शेयर, कहा 'नए साल में भी तेजी रहने की उम्मीद'

Share Markets: घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal) सिक्योरिटीज का मानना है कि शेयर बाजार में तेजी का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। ब्रोकरेज का कहना है कि ग्लोबल पर लिक्विडिटी पर लगा अंकुश अब खत्म होने की ओर हैं। दुनिया के सबसे प्रमुख देशों में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ सबसे ज्यादा है। इसलिए वैल्यूएशन में हालिया तेजी के बावजूद बाजार में और तेजी के लिए उम्मीद दिखती है

Moneycontrol Newsअपडेटेड Jan 01, 2024 पर 12:41 PM
Stocks: मोतीलाल ओसवाल ने 2024 के लिए बताए अपने पसंदीदा शेयर, कहा 'नए साल में भी तेजी रहने की उम्मीद'
Motilal Oswal का अनुमान है कि बाजार का मोमेंटम और पॉजिटव आउटलुक बरकरार रहेगा

Share Markets: घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal) सिक्योरिटीज का मानना है कि शेयर बाजार में तेजी का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। ब्रोकरेज का कहना है कि ग्लोबल पर लिक्विडिटी पर लगा अंकुश अब खत्म होने की ओर हैं। इसके अलावा मजबूत घरेलू आर्थिक माहौल, घरेलू संस्थागत और रिटेल निवेशकों की बाजार में बढ़ती हिस्सेदारी और केंद्र के स्तर पर पॉलिसी में निरतंरता की उम्मीद से बाजार का जोश हाई बने रहने की उम्मीद है। दुनिया के सबसे प्रमुख देशों में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ सबसे ज्यादा है। इसलिए वैल्यूएशन में हालिया तेजी के बावजूद बाजार में और तेजी के लिए उम्मीद दिखती है।

मोतीलाल ओसवाल का अनुमान है कि बाजार का मोमेंटम और पॉजिटव आउटलुक बरकरार रहेगा। वहीं बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर, इंडस्ट्रियल्स, रियल एस्टेट, ऑटो और कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी जैसे सेक्टर्स का प्रदर्शन बेंचमार्के इंडेक्स से बेहतर रह सकता है। अधिक ब्याज दरें, अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट और भू-राजनीतिक संकटों ने साल 2023 को चुनौतीपूर्ण बना दिया था। ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि नए साल में इनमें से कुछ चिंताओं को कम करने की उम्मीद है, खासतौर से ब्याज दरों को लेकर।

रिपोर्ट में कहा गया है, "ब्याज दरों के कई सालों के ऊंचे स्तर पर पहुंचना, भू-राजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, धीमी ग्रोथ और विकसित बाजारों में मंदी का माहौल पिछले साल प्रमुख चिंताएं बनी रहीं। हालांकि भारत की मजबूत आर्थिक ग्रोथ, कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजे, मध्यम महंगाई, क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट, FII और DII फ्लो में मजबूती और रिटेल निवेशकों की बढ़ी भागीदारी ने भारतीय बाजारों को अधिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया।"

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