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RBI ने लिक्विडिटी कवरेज रेशियो पर नया कवरेज रेश्यो ड्राफ्ट नियम जारी किया, बढ़ेगी बैंकों की दिक्कत!

आरबीआई का कहना है कि बैंक अपने इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग डिपॉजिट को कवर करने के लिए अधिक नकदी रखें क्योंकि लेनदेन की मात्रा बढ़ गई है। बैंकों/हितधारकों से 31 अगस्त, 2024 तक इस पर कमेंट मांगे गए हैं। प्रभुदास लीलाधर का कहना है कि इस नियमों के लागू होने से बैंकों के रिटेल डिपॉजिट पर 5 फीसदी असर संभव है। वहीं, मुनाफे पर 3-7 फीसदी असर संभव है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 26, 2024 पर 10:45 AM
RBI ने लिक्विडिटी कवरेज रेशियो पर नया कवरेज रेश्यो ड्राफ्ट नियम जारी किया, बढ़ेगी बैंकों की दिक्कत!
प्रभुदास लीलाधर का कहना है कि इससे ICICI बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बड़े निजी बैंकों पर सबसे कम असर पड़ेगा

बैंकों की दिक्कत बढ़ सकती है। RBI ने लिक्विडिटी कवरेज रेशियो ( liquidity coverage ratio) पर नया Basel III फ्रेमवर्क लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो ड्राफ्ट नियम जारी किया है। अगर यह लागू हो जाता है तो इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग बेस्ड डिपॉजिट को ज्यादा वेटेज देना पड़ सकता है। RBI ने 31 अगस्त तक नये फ्रेमवर्क ड्राफ्ट पर कमेंट मांगे हैं। इसमें स्टेबल डिपॉजिट पर 10 फीसदी रिस्क वेटेज का प्रस्ताव है। वहीं, कम स्टेबल डिपॉजिट पर 15 फीसदी रिस्क वेटेज का प्रस्ताव। इसमें यह भी कहा गया है कि अच्छे लिक्विड एसेट का वैल्युएशन करेंट मार्केट वैल्यू से कम नहीं होना चाहिए।

मूल रूप से आरबीआई का कहना है कि बैंक अपने इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग डिपॉजिट को कवर करने के लिए अधिक नकदी रखें क्योंकि लेनदेन की मात्रा बढ़ गई है। बैंकों/हितधारकों से 31 अगस्त, 2024 तक इस पर कमेंट मांगे गए हैं। आरबीआई इस सर्कुलर को 1 अप्रैल 2025 से लागू कर सकता है।

प्रभुदास लीलाधर की राय

प्रभुदास लीलाधर का कहना है कि इस नियमों के लागू होने से बैंकों के रिटेल डिपॉजिट पर 5 फीसदी असर संभव है। वहीं, मुनाफे पर 3-7 फीसदी और NIMs पर 7-10 बेसिस प्वाइंट का असर संभव है। बैंकों के RoA पर भी 6-9 बेसिस प्वाइंट का असर संभव है।

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