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मनमोहन सिंह: शेयर बाजार के असली हीरो

चाहे वह 1991 का आर्थिक संकट हो या फिर 2004 से 2014 के बीच उनका प्रधानमंत्री का कार्यकाल, भारतीय शेयर बाजार ने इस दौरान न सिर्फ ऐतिहासिक छलांग लगाई, बल्कि यह दुनिया भर के निवेशकों के लिए निवेश का सबसे पसंदीदा जगह भी बन गया। मनमोहन सिंह 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में हमसे विदा हो गए। उनके आर्थिक सुधारों और नीतियों ने भारतीय शेयर बाजार को कैसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, आइए इसे समझते हैं।

Moneycontrol Newsअपडेटेड Dec 27, 2024 पर 9:44 PM
मनमोहन सिंह: शेयर बाजार के असली हीरो
निफ्टी ने Manmohan Singh की अगुआई वाली UPA-1 कार्यकाल में 135% से अधिक रिटर्न दियानिफ्टी ने Manmohan Singh की अगुआई वाली UPA-1 कार्यकाल में 135% से अधिक रिटर्न दिया

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज हमारे बीच नहीं है। भारतीय शेयर बाजार ने अपना सबसे सुनहरा सफर उनकी ही अगुआई में तय किया था। वे वह नेता थे जिन्होंने भारत को एक नई आर्थिक दिशा दी, और इस बदलाव ने भारतीय शेयर बाजार को भी एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। चाहे वह 1991 का आर्थिक संकट हो या फिर 2004 से 2014 के बीच उनका प्रधानमंत्री का कार्यकाल, भारतीय शेयर बाजार ने इस दौरान न सिर्फ ऐतिहासिक छलांग लगाई, बल्कि यह दुनिया भर के निवेशकों के लिए निवेश का सबसे पसंदीदा जगह भी बन गया।

मनमोहन सिंह 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में हमसे विदा हो गए। उनके आर्थिक सुधारों और नीतियों ने भारतीय शेयर बाजार को कैसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, आइए इसे समझते हैं।

1991: भारत की आर्थिक आजादी का दौर

भारत 1991 में एक आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा था। यह वह समय था जब भारत को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बड़े कदम उठाने पड़े। और यह कदम उठाए थे मनमोहन सिंह ने, जो तब भारत के वित्त मंत्री थे। उनकी नीतियों ने भारत के आर्थिक ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने ऐतिहासिक उदारीकरण (लिबरलाइजेशन) की प्रक्रिया शुरू की। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को लाइसेंस राज से मुक्त दिलाई और भारतीय बाजार के दरवाजे प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिए

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