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Bond Market उड़ान भरने को तैयार, इन चार वजहों से 6 साल में हो जाएगा डबल

Indian Bond Market: भारतीय कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट छह साल में दोगुना हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स के मुताबिक अभी बॉन्ड मार्केट का साइज 43 लाख करोड़ रुपये है और वित्त वर्ष 2030 तक यह यह बढ़कर 100-120 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक इसे चार अहम फैक्टर्स से सपोर्ट मिलेगा। इसमें से तीन फैक्टर्स सप्लाई साइड से हैं और एक फैक्टर डिमांड साइड से है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Dec 04, 2023 पर 5:19 PM
Bond Market उड़ान भरने को तैयार, इन चार वजहों से 6 साल में हो जाएगा डबल
Indian Bond Market: क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर सोमासेखर वेमुरी के मुताबिक ऐसे समय में जब इंफ्रा और कॉरपोरेट सेक्टर्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है, बॉन्ड निवेशकों के लिए इंफ्रा सेक्टर आकर्षक बन रहा है और मजबूत रिटेल क्रेडिट ग्रोथ बॉन्ड सप्लाई को बढ़ावा दे सकती है।

Indian Bond Market: भारतीय कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट छह साल में दोगुना हो जाएगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स के मुताबिक अभी बॉन्ड मार्केट का साइज 43 लाख करोड़ रुपये है और वित्त वर्ष 2030 तक यह यह बढ़कर 100-120 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर सोमासेखर वेमुरी के मुताबिक ऐसे समय में जब इंफ्रा और कॉरपोरेट सेक्टर्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है, बॉन्ड निवेशकों के लिए इंफ्रा सेक्टर आकर्षक बन रहा है और मजबूत रिटेल क्रेडिट ग्रोथ बॉन्ड सप्लाई को बढ़ावा दे सकती है। परिवारों की बढ़ती बचत से इसकी मांग मजबूत हो सकती है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक इसे चार अहम फैक्टर्स से सपोर्ट मिलेगा। इसमें से तीन फैक्टर्स सप्लाई साइड से हैं और एक फैक्टर डिमांड साइड से है। यहां इन सभी फैक्टर्स के बारे में जानकारी दी जा रही है।

सप्लाई साइड से तीन फैक्टर्स हैं सपोर्ट में

क्रिसिल के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2027 के बीच इंफ्रा और कॉरपोरेट सेक्टर्स में करीब 110 लाख करोड़ रुपये का कैपिटल एक्सपेंडिचर हो सकता है। यह पिछले पांच वित्त वर्षों के मुकाबले 1.7 गुना है। क्रेडिट रिस्क प्रोफाइल में सुधार, रिकवरी से जुड़ी संभावनाओं और लॉन्ग टर्म प्रकृति के चलते इंफ्रा एसेट्स निवेशकों को आकर्षक लग रहे हैं। वॉल्यूम के हिसाब से इंफ्रा सेक्टर की सालाना कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में सिर्फ 15 फीसदी हिस्सेदारी ही है लेकिन विभिन्न नीतिगत उपायों के चलते कई स्ट्रक्चरल इंप्रूवमेंट्स के चलते अब बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों के लिए यह आकर्षक हो सकता है।

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