Get App

SEBI Study: कंपनियां रॉयल्टी के पेमेंट में नहीं दे रही पूरी जानकारी, जानिए क्या है पूरा मामला

कंपनी ब्रांड, ट्रेडमार्क और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए दूसरी कंपनी को रॉयल्टी का पेमेंट करती है। कई कंपनियां अपनी पेरेंट कंपनी को रॉयल्टी का पेमेंट करती हैं। सेबी ने पाया है कि कंपनियां रॉयल्टी पेमेंट की वजह सहित कई जरूरी जानकारियां नहीं दे रही हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 15, 2024 पर 11:15 AM
SEBI Study: कंपनियां रॉयल्टी के पेमेंट में नहीं दे रही पूरी जानकारी, जानिए क्या है पूरा मामला
इस स्टडी में 233 कंपनियों के FY14 और FY23 के बीच के डेटा का विश्लेषण किया गया है।

कंपनियां रॉयल्टी के पेमेंट में पूरी जानकारी नहीं दे रही हैं। वे रॉयल्टी पेमेंट की वजह भी नहीं बता रही हैं। सेबी की स्टडी से यह जानकारी मिली है। आम तौर पर टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर, ब्रांड नाम के इस्तेमाल, ट्रेडमार्केट के इस्तेमाल या किसी दूसरे तरह के समझौते के तहत एक कंपनी दूसरी कंपनी को रॉयल्टी का पेमेंट करती है। इंडिया में लिस्टेड कंपनियां अपनी पेरेंट कंपनी या सब्सिडियरी को रॉयल्टी का पेमेंट करती हैं। सेबी ने लिस्टेड कंपनियों की तरफ से अपने रिलेटेड पार्टी (आरपी) को रॉयल्टी पेमेंट की स्टडी की थी।

स्टडी में 10 साल के डेटा का विश्लेषण

SEBI ने स्टडी के नतीजे पब्लिश कर दिए हैं। इस स्टडी में 233 कंपनियों के FY14 और FY23 के बीच के डेटा का विश्लेषण किया गया है। स्टडी में कहा गया है, "यह पाया गया है कि कई कंपनियां अपने एनुअल रिपोर्ट में रॉयल्टी पेमेंट को सिर्फ स्टेटमेंट ऑफ ट्रांजेक्शन के तहत एक आइटम के रूप में दिखा रही हैं। इसमें रॉयल्टी पेमेंट की वजह और पेमेंट के रेट के बारे में कुछ नहीं बताया जा रहा है। कई कंपनियों ने ब्रांड और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए किए गए रॉयल्टी पेमेंट के क्लासिफिकेशन को नहीं बताया है।"

डिसक्लोजर में एक जैसी जानकारी नहीं

सब समाचार

+ और भी पढ़ें