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Trump Tariffs : चीन ने US टैरिफ पर जारी किया एक व्हाइट पेपर, बातचीत और आपसी तालमेल से मामला सुलझाने की कही बात

Reciprocal tariffs : चीन ने US टैरिफ पर एक व्हाइट पेपर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि US टेक ट्रांसफर का वादा पूरा करने में विफल रहा है। US ने फूड, एग्री प्रोडक्ट्स, फॉरेक्स और वित्तीय मामले के वादे भी पूरे नहीं किए हैं। मोस्ट फेवर्ड नेशन का स्टेटस हटाना WTO नियमों का उल्लंघन है

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 09, 2025 पर 3:02 PM
Trump Tariffs : चीन ने US टैरिफ पर जारी किया एक व्हाइट पेपर, बातचीत और आपसी तालमेल से मामला सुलझाने की कही बात
चीन ने टैरिफ रोलबैक का कोई एलान नहीं किया है। US इंपोर्ट पर 34 फीसदी का जवाबी टैरिफ कल से लागू हो जाएगा। वहीं, चीन पर 104 फीसदी का यूएस टैरिफ आज से लागू हो गया है

White Paper on Trump Tariffs : चीन पर US का 104 फीसदी टैरिफ आज से लागू हो गया है। बाजार दिल थामकर इंतजार कर रहा था कि US के टैरिफ के सामने चीन क्या करता है। चीन का जवाब भी आ गया। इसके बाद US फ्यूचर्स में निचले स्तरों से शानदार रिकवरी दिखी। इस बीच चीन ने US टैरिफ पर एक व्हाइट पेपर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि US टेक ट्रांसफर का वादा पूरा करने में विफल रहा है। US ने फूड, एग्री प्रोडक्ट्स, फॉरेक्स और वित्तीय मामले के वादे भी पूरे नहीं किए हैं। MFN (मोस्ट फेवर्ड नेशन) का स्टेटस हटाना WTO नियमों का उल्लंघन है। इससे ग्लोबल इकोनॉमिक ऑर्डर बिगड़ेगा।

इस व्हाइट पेपर में आगे कहा गया है कि टैरिफ को लेकर US के कदम हानिकारक हैं। US के आरोप तथ्यों से परे हैं। इनका कोई आधार नहीं है। रेसिप्रोकल टैरिफ से US को ही सबसे ज्यादा नुकसान होगा। बातचीत और आपसी तालमेल से मामला सुलझाया जा सकता है। टकराव से कुछ हासिल नहीं होगा। इससे दोनों पक्षों को नुकसान ही होगा।

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व्हाइट पेपर में आगे कहा गया है कि चीन और अमेरिका,दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। बीते 46 सालो में दोनों देशों के बीच व्यापार में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 1979 में जहां यह व्यापार केवल 2.5 अरब डॉलर था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 688.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, हाल के वर्षों में अमेरिका की एकतरफा और संरक्षणवादी नीतियों ने दोनों देशों के सामान्य व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचाया है। अमेरिका ने 2018 से अब तक 500 अरब डॉलर से ज्यादा के चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाए हैं। इसके जवाब में चीन ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए हैं।

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