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Bank Loan लेने वालों के लिए KFS रूल को RBI ने किया एक्सटेंड, जानें क्या है मामला!

KFS में एनुअल पर्सेंटेज रेट (APR) कैलकुलेशन और एक शेड्यूल भी शामिल किया जाएगा, जिसमें दिखाया जाएगा कि समय के साथ लोन का भुगतान कैसे किया जाएगा ये डिसीजन लेने का मकसद कर्जदारों के लिए लोन शर्तों को पारदर्शी और स्पष्ट बनाना है

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 15, 2024 पर 10:58 PM
Bank Loan लेने वालों के लिए KFS रूल को RBI ने किया एक्सटेंड, जानें क्या है मामला!
RBI ने KFS की एप्लीकेबिलिटी को बढ़ा दिया है।

KFS Rule: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन एग्रीमेंट में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सभी रिटेल और माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) टर्म लोन लेने वाले कर्जदारों के लिए KFS की एप्लीकेबिलिटी को बढ़ा दिया है। आरबीआई ने फैसला किया है कि रिटेल और MSME लोन लेने वालों को अब अपने लोन एग्रीमेंट के साथ एक 'की फैक्ट स्टेटमेंट' यानी केएफएस मिलेगा। केएफएस एक सिंपल और ईजी भाषा में लोन एग्रीमेंट के मेन प्वॉइंट्स को समझाने वाला एक स्टैंडर्डाइस्ड फॉरमेट है। जो कर्जदारों को दिया जाता है। ये स्टेटमेंट अब अधिक सिंपल लैंग्वेज में होगा, जिससे लोन लेने वाले लोगों को अपने लोन के बारे में महत्वपूर्ण डिटेल्स समझना आसान हो जाएगा।

सर्कुलर जारी

आरबीआई के निर्देश के मुताबिक,बैंक कर्जदार से पूछे बिना या उनकी सहमति के बिना एक्स्ट्रा फीस नहीं ले सकते हैं, खासतौर पर जिसकी स्टेटमेंट केएफएस में नहीं लिखी गई हैं। आरबीआई ने सर्कुलर में कहा, कोई भी चार्ज, जो केएफएस में नहीं लिखा गया है, लोन टर्म के दौरान किसी भी लेवल पर रेगुलेटेड कंपनियों के जरिए कर्जदारों से नहीं लिया जा सकता है।

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