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लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस को GST में राहत से सरकार को सालाना 2600 करोड़ नुकसान

लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को जीएसटी से राहत का प्रस्ताव काफी समय से लंबित है। जीएसटी काउंसिल की 55वीं मीटिंग में इस मसले पर फैसला होने की उम्मीद है। जीएसटी काउंसिल की यह मीटिंग 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होने वाली हैा

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 20, 2024 पर 11:36 AM
लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस को GST में राहत से सरकार को सालाना 2600 करोड़ नुकसान
अभी ज्यादातर इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स पर जीएसटी का 18 फीसदी रेट लागू होता है।

जीएसटी काउंसिल अगर टर्म लाइफ पॉलिसी और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स घटाने का फैसला करती है तो इससे सरकार को हर साल करीब 2,600 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जीएसटी काउंसिल के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। लाइफ इंश्योरेंस की टर्म पॉलिसी और हेल्थ पॉलिसी पर टैक्स घटाने की चर्चा काफी समय से चल रही है। जीएसटी काउंसिल की 55वीं मीटिंग में इस बारे में फैसला होने की उम्मीद है। यह मीटिंग 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होने वाली है।

पॉलिसीहोल्डर्स को क्या-क्या राहत मिल सकती है?

सूत्रों का कहना है कि जीएसटी काउंसिल (GST Council) सीनियर सिटीजंस की हेल्थ पॉलिसी (Health Policy) को टैक्स से छूट देने के प्रस्ताव पर भी विचार कर सकती है। इसके अलावा 5 लाख रुपये तक के कवर वाली हेल्थ पॉलिसी को भी टैक्स से छूट दी जा सकती है। सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि टर्म लाइफ पॉलिसी को जीएसटी से छूट देने से सरकार को हर साल 200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। सूत्रों ने यह भी कहा, "टर्म लाइफ इंश्योरेंस को टैक्स से छूट देने से सरकार को होने वाला नुकसान काफी कम रहेगा, क्योंकि ज्यादातर टैक्स इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के रूप में चुकाया जाता है। हेल्थ पॉलिसी को जीएसटी से छूट देने पर सालाना करीब 2,400 करोड़ रुपये का नुकसान सरकार को हो सकता है।"

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