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Income Tax Return: इनकम 12 लाख तक तो नई रीजीम में सैलरीड टैक्सपेयर्स को हो सकता है नुकसान

Income Tax Return: इनकम टैक्स की नई रीजीम इस्तेमाल में आसान है। इसमें इनवेस्टमेंट प्रूफ देने की जरूरत नहीं पड़ती है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में भी गलती होने की संभावना कम होती है। हालांकि, इसमें ज्यादातर डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस नहीं मिलते हैं

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Aug 13, 2025 पर 10:28 AM
Income Tax Return: इनकम 12 लाख तक तो नई रीजीम में सैलरीड टैक्सपेयर्स को हो सकता है नुकसान
अगर कोई टैक्सपेयर डिडक्शन और एग्जेम्प्शन का पूरा फायदा उठाता है तो ओल्ड रीजीम में उसका टैक्स काफी कम हो जाता है।

सरकार के सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स-फ्री कर देने से इनकम टैक्स की नई रीजीम अट्रैक्टिव हो गई है। नई रीजीम टैक्सपेयर्स के लिए आसान है। इसमें इनवेस्टमेंट का प्रूफ नहीं देना पड़ता है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में भी गलती होने की आशंका कम रहती है। लेकिन, टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे सैलरीड टैक्सपेयर्स जिनकी इनकम 12 लाख रुपये तक है, उन्हें ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि नई रीजीम में डिडक्शंस का फायदा नहीं मिलता है।

कैपिटल गेंस है तो ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ सकता है

टैक्सस्पैनर के सीईओ सुधीर कौशिक ने कहा कि नई रीजीम में Income Tax Return फाइल करना आसान है। टैक्सपेयर को इनवेस्टमेंट का प्रूफ नहीं देना पड़ता है। लेकिन, दिक्कत कैपिटल गेंस को लेकर है। इनकम टैक्स की नई रीजीम में अगर कुल इनकम 12 लाख रुपये तक है तो सेक्शन 87ए के तहत रिबेट मिलता है, जिससे टैक्स जीरो हो जाता है। लेकिन, इस बेनेफिट के लिए कैपिटल गेंस को बाहर रखा गया है।

नई रीजीम में डिडक्शन और एग्जेम्प्शन की इजाजत नहीं

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