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इंटरेस्ट रेट्स में कमी से बढ़ेगा डेट फंडों का रिटर्न, निवेशक ऐसे उठा सकते हैं फायदा

अमेरिका सहित कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने इंटरेस्ट में कमी के संकेत दिए हैं। अमेरिका में तो इसी महीने फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट घटाने का ऐलान कर सकता है। इसका असर इंडिया में आरबीआई पर भी पड़ेगा। एक्सपर्ट का कहना है कि आरबीआई 12-18 महीनों में रेपो रेट में 50 से 75 बेसिस प्वाइंट्स की कमी कर सकता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 07, 2024 पर 9:52 AM
इंटरेस्ट रेट्स में कमी से बढ़ेगा डेट फंडों का रिटर्न, निवेशक ऐसे उठा सकते हैं फायदा
एक्सपर्ट का कहना है कि अगर निवेशख फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं और 1-2 साल तक निवेश कर कर सकते हैं तो उन्हें अच्छी क्वालिटी वाले लॉन्ग-ड्यूरेशन फंडों में निवेश करना चाहिए।

दुनियाभर में केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट में कमी के संकेत दे रहे हैं। ऐसे में निवेशकों की नजरें डेट फंडों पर लगी हैं। वे डेट फंडों पर इंटरेस्ट रेट में कमी के असर के बारे में जानना चाहते हैं। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और पीपल्स बैंक ऑफ चाइना इंटरेस्ट रेट में कमी का संकेत दे चुके हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंटरेस्ट रेट में कमी का असर डेट फंडों पर अलग-अलग तरह से पड़ता है। यह इनवेस्टमेंट की अवधि पर निर्भर करता है।

लॉन्ग-ड्यूरेशन फंडों का रिटर्न बढ़ेगा

FINHAAT के को-फाउंडर और सीईओ विनोद सिंह ने कहा, "लोअर ड्यूरेशन वाले फंड्स जिन्होंने शॉर्ट मैच्योरिटी पीरियड वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया है, उनकी एनएवी थोड़ी बढ़ जाएगी। लंबी मैच्योरिटी अवधि वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने वाले फंडों की एनएवी में ज्यादा उछाल देखने को मिलेगा।" उन्होंने कहा कि बाजार इन संभावित बदलावों का फायदा उठाने की कोशिश करेगा। ऐसे में लॉन्ग ड्यूरेशन फंडों का रिटर्न लंबी अवधि में बेहतर रह सकता है।

आरबीआई इंटरेस्ट रेट 50-75 बेसिस प्वाइंट्स घटा सकता है

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